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अंतेश्वर मंदिर में हवन करके की सबके भले की प्रार्थना

मृतसर रोड स्थित अनंतेश्वर महादेव शिव मंदिर में भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव व अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में पूजन संकीर्तन गणपति पूजन नवग्रह पूजन करके हवन यज्ञ किया। यज्ञ की अग्नि में आहुति डाल सर्व भले की कामना की गई। पंडित राजेश शर्मा ने कहा कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखातीज कहते है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 10:49 PM (IST)
अंतेश्वर मंदिर में हवन करके की सबके भले की प्रार्थना
अंतेश्वर मंदिर में हवन करके की सबके भले की प्रार्थना

संवाद सहयोगी, मोगा : अमृतसर रोड स्थित अनंतेश्वर महादेव शिव मंदिर में भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव व अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में पूजन, संकीर्तन, गणपति पूजन, नवग्रह पूजन करके हवन यज्ञ किया। यज्ञ की अग्नि में आहुति डाल सर्व भले की कामना की गई। पंडित राजेश शर्मा ने कहा कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखातीज कहते है। मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया का त्योहार सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। अक्षय तृतीया एक संस्कृत शब्द है। अक्षय का अर्थ है शाश्वत, सुख, सफलता और आनंद की कभी कम न होने वाली भावना और तृतीया का अर्थ है तीसरा। उन्होंने कहा कि यज्ञ से निकला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है। वातावरण में बसे बुरे कीटाणुओं का अंत करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को खत्म करते के लिए हमें अधिक से अधिक हवन करने चाहिए। महिला संकीर्तन मंडल द्वारा गणपति आराधना करके सामूहिक रूप में श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इस अवसर पर अरुण विज, रीटा रानी, संदीप सीखा, प्रियंका, नितिन जैसवाल, छवि जैसवाल, कामिनी और हर्षित आदि हाजिर थे। शिव साईं मंदिर में भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव पर हवन

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शिव साईं मंदिर में भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हनुमान चालीसा के पाठ और हवन यज्ञ किया गया। पंडित राज मिश्रा ने पूजन किया और श्री हनुमान चालीसा के पाठ के उपरांत हवन किया। भक्तों ने सामूहिक रूप में यज्ञ में आहुतियां डालकर सबके भले की कामना की। राज मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 जैसी महामारी फैलने का मुख्य कारण वायु एवं वातावरण प्रदूषित होना भी है। हमारी सत्य सनातन वैदिक धर्म की संस्कृति का मुख्य कार्य हवन के साथ वेद आदि शास्त्रों को पढ़कर संस्कृति को फैलाना था। प्राचीन समय में सभी लोग प्रतिदिन घर में प्रात: सायं यज्ञ किया करते थे, जिससे वातावरण शुद्ध रहता था और हम अनेकों रोगों से बचे रहते थे। यज्ञ की अग्नि से निकला धुआं वातावरण में फैले दूषित कीटाणुओं का अंत करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम सबको इस महामारी के बचाव के लिए सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए धैर्य बनाए रखना चाहिए। भगवान परशुराम जी के जीवन से हमें ये सीख मिलती है कि हमें सदा सबके भले के लिए सोचना चाहिए। महिला मंडल ने भजनों का गायन किया। यहां पंडित घनश्याम, नीना देवी, वंदना गांधी, राकेश कुमार, लक्ष्य,चिराग, नीरू बाला आदि मौजूद रहे।


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