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आप विधायक से विवाद के बाद भाजपा सरपंच और उसका बेटा गिरफ्तार

। आम आदमी पार्टी की विधायक डा.अमनदीप कौर अरोड़ा व गांव मोठावाली के सरपंच हरनेक सिंह विवाद में थाना सदर पुलिस ने सरपंच हरनेक सिंह व उसके बेटे सतनाम सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 11:05 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 11:05 PM (IST)
आप विधायक से विवाद के बाद भाजपा सरपंच और उसका बेटा गिरफ्तार

सत्येन ओझा.मोगा

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आम आदमी पार्टी की विधायक डा.अमनदीप कौर अरोड़ा व गांव मोठावाली के सरपंच हरनेक सिंह विवाद में थाना सदर पुलिस ने सरपंच हरनेक सिंह व उसके बेटे सतनाम सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने सरपंच व उसके बेटे के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने की धारा लगाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है कि विधायक जनसेवक है या संवैधानिक ड्यूटी तक सीमित है।

साल 1988 में आरएस नायक वर्सेज एके अंतुले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए कहा था कि विधायक जनसेवक नहीं है, वह संवैधानिक ड्यूटी करने के लिए अधिकृत होता है। विधायक के पास किसी भी फैसले पर अमल करने का अधिकार नहीं है, वह विधानसभा में अपनी बात रख सकता है, कार्रवाई की मांग कर सकता है, सीधे कार्रवाई नहीं कर सकता है। इस बीच सरपंच की पत्नी रंजीत कौर की ओर से थाने में दी गई शिकायत पर पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के अध्यक्ष विजय सांपला ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी गुलनीत सिंह खुराना को आयोग की तरफ से नोटिस जारी कर दो दिन में जवाब मांगा है।

यह है मामला

नवंबर 2021 में मंजूर हुई गांव सिघावाला से मोठावाली तक 28 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क का निर्माण कार्य शुरू कराने पहुंची आम आदमी पार्टी की विधायक डा.अमनदीप कौर अरोड़ा का गांव के सरपंच हरनेक सिंह के साथ विवाद हो गया था। विधायक ने मीडिया के कैमरों के सामने सरपंच से बंद पड़ी पशु डिस्पेंसरी की जगह तूड़ी व पाथी उठाने की धमकी दी। सरपंच समय मांगता रहा, लेकिन विधायक तत्काल तूड़ी हटाने पर अड़ी रहीं, बाद में उन्होंने सरपंच व उसके बेटे पर बदसलूकी का आरोप लगाते हुए दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराने की धमकी दी थी। पुलिस ने सरपंच के बेटे व उसकी बेटी को रात को ही हिरासत में ले लिया था, लेकिन भाजपा नेता व पूर्व विधायक डा.हरजोत कमल के थाने के बाहर धरना देने के बाद नाबालिग बेटी को छोड़ दिया गया। डा.हरजोत रात को जैसे ही धरना खत्म कर लौटे तो पुलिस ने सरपंच व उसके बेटे सतनाम सिंह को रात में ही गिरफ्तार कर उनके खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने, भद्दे इशारे करने, जान से मारने की धमकी देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया था।

इस बीच, सरपंच की पत्नी रंजीत कौर ने भी आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दी थी कि सड़क के उद्घाटन से पहले आप नेताओं ने उसके पति को अनुसूचित जाति के शब्दों का प्रयोग करते हुए धमकी दी थी कि उसे आज देखेंगे, उनकी एमएलए आ रही है। पुलिस ने रंजीत कौर के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। उधर, पीड़ित रंजीत कौर ने रात में थाने में दी गई लिखित शिकायत की प्रति के साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला से शिकायत कर दी थी, जिसे सांपला ने गंभीरता से लेते हुए एसएसपी को नोटिस जारी कर दो दिन में पूरे मामले में जबाव मांगा है।

उधर, पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ वीरवार को पूर्व विधायक डा.हरजोत कमल ने विभिन्न गांव के सरपंचों व समर्थकों के साथ विधायक डा.अमनदीप कौर अरोड़ा के आफिस के बाहर धरना दिया। साथ ही पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस सत्ता के इशारे पर कानूनी की धज्जियां उड़ा रही है। विधायक को किसी भी फैसले पर अमल करने का अधिकार नहीं है, उन्होंने कहा कि वे खुद पांच साल विधायक रहे हैं, वे अपनी शिकायत अधिकारियों को बताकर काम कराते रहे हैं, सीधे किसी भी मामले में दखलअंदाजी नहीं की। चार घंटे चले धरने के दौरान विधायक खुद तो नहीं पहुंचीं, लेकिन पुलिस ने दफ्तर को छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था।

थाना सदर पुलिस ने विधायक डा.अमनदीप कौर अरोड़ा के पीए बलजिदर सिंह के बयानों के आधार पर सरपंच हरनेक सिंह, उसके बेटे सतनाम सिंह निवासी मोठावाली के खिलाफ धारा 353, 186, 294, 506, 34 के तहत केस दर्ज किया है।

कानूनविद् बोले, एमएलए जनसेवक नहीं, जनप्रतिनिधि है

एडवोकेट वरदान गर्ग ने इस मामले में पुलिस की ओर से लगाई गई धाराओं को सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन के खिलाफ बताया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 1988 में आरएस नायक वर्सेज एके अंतुले मामले में आए फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया है कि आइपीसी की धारा 21 में क्लाज एक से लेकर 12 तक विधायक जनसेवक की श्रेणी में नहीं आता है। राज्य का मंत्री जनसेवक की श्रेणी में आता है। एमएलए जनप्रतिनिधि के नाते संवैधानिक दायित्व पूरा कर सकते हैं वह अपनी बात विधानसभा में रख सकते हैं, वहां किसी को बुला सकते हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर सकते हैं, सीधे किसी फैसले पर अमल नहीं कर सकते हैं। आदेश में ये भी दलील है कि विधायक को सरकार वेतन नहीं देती है, भत्ते देती है। एमएलए के अधिकारों का हनन होने पर वह अपनी बात विधानसभा में रख सकता है।

ये जांच का विषय है : डीएसपी

इस संबंध में डीएसपी सिटी जशनदीप सिंह ने बताया कि एफआइआर अंतिम फैसला नहीं है, ये जांच का विषय है, अगर कुछ गलत होता तो जांच में सामने आने पर उसमें सुधार कर दिया जाएगा। -------

सत्येन ओझा


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