इंजेक्शन के कुछ देर बाद मरीज की मौत, डीएसपी बोले-खास बात नहीं
मोगा जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के निकट हाईवे पर स्थित दिल्ली अस्पताल में वीरवार सुबह एक मरीज को इंजेक्शन लगाने जाने के बाद महज कुछ देर में उसकी मौत के मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ।
संवाद सहयोगी, मोगा
जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के निकट हाईवे पर स्थित दिल्ली अस्पताल में वीरवार सुबह एक मरीज को इंजेक्शन लगाने जाने के बाद महज कुछ देर में उसकी मौत के मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। मामला बढ़ने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को अस्पताल से बाहर निकालने की कोशिश की, तो इस दौरान हाथापाई भी हो गई। सूचना मिलने पर डीएसपी (सिटी) बरजिदर सिंह भुल्लर मौके पर पहुंचे। इस बारे में उन्होंने परिजनों को लिखित शिकायत देने कहा। वहीं, इस मामले की जांच एसएचओ सिटी-1 गुरप्रीत सिंह को सौंपी गई है। हालांकि पुलिस ने मौके से अहम सुबूतों को कब्जे में न लेकर अप्रत्यक्ष रूप में अस्पताल संचालक की मदद की है। उधर, अस्पताल में डॉ. तेजा सिंह बार-बार दलील देने की कोशिश कर रहे थे कि मरीज को कोरोना के लक्षण थे। मगर, वे इसका उत्तर नहीं दे रहे थे कि कोरोना के लक्षण थे, तो अस्पताल में उसे बिना पीपीई किट के स्टाफ ने इंजेक्शन क्यों लगाया। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही बलविदर सिंह की मौत हो गई।
उधर, इस बारे में जब बलबिदर सिंह को अस्पताल लेकर पहुंचे व्यक्ति ने सूचना गांव कोरेवाल में परिजनों को दी, तो थोड़ी देर में ही सरपंच व परिजन आदि मौके पर पहुंच गए। परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल प्रबंधकों ने आनन-फानन में शव स्ट्रेचर पर रखकर उसे एंबुलेंस में रखने का प्रयास किया, लेकिन परिजनों ने विरोध कर नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर बाद ही सूचना मिलने पर डीएसपी (सिटी) बरजिदर सिंह भुल्लर मौके पर पहुंच गए। उन्होंने परिजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत किया। साथ ही भरोसा दिया कि परिजन लिखित में शिकायत दें, तो पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। डीएसपी के आश्वासन के बाद परिजनों ने प्रदर्शन वापस ले लिया।
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यह है मामला
गांव कोरेवाला खुर्द के रहने वाले 45 वर्षीय बलविदर सिंह पुत्र मोहरा सिंह को दो दिन से बुखार था। इससे पहले परिजनों ने उसका इलाज डरौली भाई में कराया था। जहां 26 जून को बलविदर सिंह के कोरोना के सैंपल के साथ ही टीबी की आशंका में सैंपल लिए गए थे। कोरोना की रिपोर्ट 27 जून को नेगेटव आ गई थी, जबकि टीबी की रिपोर्ट भी 30 जून को नेगेटिव आई थी। वहीं दो दिन से बुखार से पीड़ित बलविंदर सिंह का जब बुखार ठीक नहीं हुआ, तो स्वजन उसे वीरवार सुबह लगभग 8.30 बजे फिरोजपुर रोड स्थित दिल्ली अस्पताल में मारुति जेन से लेकर पहुंचे। इसके बाद बलविदर खुद चलकर अस्पताल के अंदर गया, जबकि उसके साथ आया स्वजन जब तक मारुति को बैक करके अस्पताल के अंदर पहुंचा, तब तक बलविदर को अस्पताल स्टाफ के एक कर्मी ने ने इंजेक्शन लगा दिया था। परिजनों का आरोप है कि इसके कुछ देर बाद ही बलविंदर की मौके पर ही हो गई। सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे ग्रामीणों व परिजनों ने शव अस्पताल के अंदर रखकर नारेबाजी करनी आरंभ कर दी।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई : थाना प्रभारी
इस बारे में थाना सिटी के प्रभारी इंस्पेक्टर गुरप्रीत सिंह ने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी।
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क्या कहते है डॉक्टर
बलविदर सिंह को प्राथमिक उपचार देने वाले डॉ. मानव बांसल का कहना है कि बलविदर सिंह को तीन दिन से बुखार था। जांच के दौरान ब्लड प्रेशर डाउन था। सांस की समस्या भी थी। बलविंदर के परिजनों को उसे सिविल अस्पताल ले जाने की बात भी कही थी। मगर, कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई।
उधर, अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेटर संदीप परचंदा ने बताया कि बलविदर सिंह को टीबी व कोरोना के लक्षण थे। जिसकी जांच उनके पास नहीं हो सकती थी। जिसे देखते हुए उन्होंने मरीज को रेफर किया गया था।
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पुलिस ने कब्जे में नहीं लिए महत्वपूर्ण सुबूत
पुलिस ने इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से अस्पताल की मदद की है। अस्पताल प्रशासन टीबी व कोरोना के लक्षण होने का दावा कर रहा था। अगर ऐसा था तो बलविंदर को बिना पीपीई किट के इंजेक्शन कैसे दिया गया। अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरा घटनाक्रम कैद है, जो अस्पताल के दावे को गलत ठहरा सकता है। कोरोना की रिपोर्ट बलविदर सिंह की 27 जून को ही नेगेटिव आ चुकी है। डरौली भाई सीएचसी में उसके सैंपल लिए गए थे। मरीज की फाइल भी पुलिस ने कब्जे में नहीं ली, जिससे पता किया जा सके कि मरीज को कौन सा इंजेक्शन दिया था।
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सीधी बात : डीएसपी (सिटी) बरजिदर सिंह भुल्लर
प्रश्न : क्या मौके से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ली है?
उत्तर : वो क्यों लेनी थी?
प्रश्न : अस्पताल बता रहा है कि कोरोना के लक्षण थे। फिर पीपीई किट के बिना उसका ट्रीटमेंट कैसे शुरू किया, ये तो सीसीटीवी कैमरे से ही सामने आ सकता है।
उत्तर : उस समय ओपीडी का समय नहीं था। इसलिए स्टाफ ने जल्दी-जल्दी उसे ग्लूकोज की बोतल लगा दी थी, कोई इंजेक्शन नहीं दिया है।
प्रश्न : ओपीडी समय के पहले अस्पताल बिना सावधानी बरते क्या किसी मरीज का इलाज शुरू कर सकता है।
उत्तर : कोई बात नहीं, दोनों पक्षों को आमने-सामने करा कर तसल्ली करा दी थी। कोई खास बात नहीं है।