कलश स्थापना के साथ शहर भर में नवरात्र पूजन शुरू
। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ शहर भर में मां दुर्गा की पूजा शुरू हो गई।
तरलोक नरूला/नेहा शर्मा.मोगा
नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ शहर भर में मां दुर्गा की पूजा शुरू हो गई। भक्तों को उम्मीद है कि नवरात्र में मां उन पर कृपा बरसाएंगी।
कई दशक के बाद ये पहला मौका है जब नवरात्र में किसी भी दिन का क्षय नहीं है यानि नवरात्र पूरे नौ दिन तक चलेंगे। घरों व मंदिरों में सुबह से ही पूजन व हवन यज्ञ के अनुष्ठान शुरू हो गए। हालांकि कोरोना संक्रमण एक बार फिर से बढ़ने के कारण पाबंदियां फिर से बढ़ गई हैं लेकिन श्रद्धालुओं के उत्साह में किसी भी प्रकार की कमी नहीं दिखी। शहर के प्रमुख शिवाला मंदिर, प्रताप रोड स्थित पाठशाला मंदिर, गीता भवन आदि प्रमुख मंदिरों में सुबह से पूजा सामग्री के साथ श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए। वहीं राजनंदिनी सत्संग हाल में नवरात्र के पहले दिन वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हवन यज्ञ को आहुतियां दी गईं, इस मौके पर प्रवचन करते हुए आचार्य सुनील कुमार शास्त्री ने नवरात्र के धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की।
शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए भक्तों ने मां दुर्गा की उपासना शुरू कर दी है। शिवाला सूदां मंदिर में तो मास्क लगाकर ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है, गेट का छोटा हिस्सा खोला गया है, ताकि एक बार में मंदिर में एक ही श्रद्धालु प्रवेश कर सके।
नवरात्र के पहले दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि होने के कारण सभी मंदिरों व घरों में मंगलवार को ही कलश स्थापना की गई। कलश स्थापना के लिए पहले दिन का मुहुर्त पंडितों के अनुसार श्रेष्ठ बताया गया था। शिवदुर्गा शक्ति मंदिर के पंडित तरसेम शर्मा ने चैत्र नवरात्र से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है। हिदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां के सभी नौ स्वरूपों की आराधना करने वालों की मान्यता है, इस दिनों में मां उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। प्रतिपदा देश के लिए मंगलकारी
शिवाला मंदिर के पुजारी व ज्योतिषाचार्य पं.अक्षय का कहना है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही विक्रमी सम्वत 2078 का प्रारंभ हुआ है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी मंगल के ही दिन इस बार आनंद नामक नव संवत्सर का आरंभ हुआ है। आनंद संवत्सर का राजा और मंत्री दोनों महत्वपूर्ण पदों पर मंगल का आधिपत्य रहेगा। वित्त मंत्री देवगुरु बृहस्पति होंगे। मंगल का राजा होना मंगल और दंगल दोनों को इंगित कर रहा है। भारत के लिए मंगल का राजा बनना अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा। भारत विश्व पटल पर अपना ध्वज फहराएगा।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होगी। मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था।