स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज की मौत
मोगा : शहर के एक इलाके में मंगलवार को स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज की मौत से सेहत विभाग में हड़कंप मच गया है।
राज कुमार राजू, मोगा : शहर के एक इलाके में मंगलवार को स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज की मौत से सेहत विभाग में हड़कंप मच गया है। सिविल अस्पताल में तैनात जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेश ¨सह व मनीष अरोड़ा ने बताया कि उक्त मरीज शराब पीने का आदि था, जिसकी हालत बिगड़ने पर परिवार के सदस्यों द्वारा उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां से डॉक्टरों ने उसकी हालत को गंभीर देखते हुए फरीदकोट रेफर कर दिया था।
डॉक्टर नरेश ¨सह व डॉ मनीष अरोड़ा के अनुसार अब तक जिले में 60 के करीब स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज अस्पताल में आ चुके हैं । जिनमें से 14 मरीजों के स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हो चुकी है। बता दें कि दिसंबर महीने में एक व फरवरी महीने के पहले सप्ताह स्वाइन फ्लू के एक संदिग्ध होने से महिला की मौत हो चुकी है ।
डॉक्टर नरेश ¨सह ने बताया कि मंगलवार को मृतक मरीज के टेस्ट फरीदकोट में लिए गए थे जिसकी रिपोर्ट उनके पास अभी नहीं पहुंची है। ऐसे में उक्त मरीज को सेहत विभाग मोगा स्वाइन फ्लू का संदिग्ध नहीं मान सकता है।
निजी लैब संचालक व निजी डॉक्टर लोगों को डरा रहे
उक्त डॉक्टरों के अनुसार निजी अस्पतालों व निजी लैब संचालकों द्वारा लोगों को स्वाइन फ्लू के प्रति बेहद डराया जा रहा है, जिनके द्वारा मोटा पैसा लेकर जहां मरीज का उपचार किया जाता है। स्वाइन फ्लू के टेस्ट करके लोगों को चूना लगाया जा रहा है।
स्वाइन फ्लू के मरीज से रखें तीन फुट का फासला
इस संबंध में सिविल अस्पताल में तैनात एमडी मेडिसिन डॉक्टर साहिल गुप्ता ने कहा कि स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा वायरस से मिलता-जुलता हैं। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना, कफ, कोल्ड और लगातार खांसी, मांसपेशियों में दर्द या अकड़न, सिर में भयानक दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना, गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना आदि है। डॉक्टर शर्मा के अनुसार उपरोक्त लक्ष्ण होने पर सरकारी अस्पतालों का रूख करे।
ऐसे करें बचाव-
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है आराम, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। वहीं टैमी फ्लू नामक दवा सिविल अस्पताल के डॉक्टर की देखरेख में ही दी जाती है।