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श्मशानघाट के लिए मिली ग्रांट ही डकार गए कौंसिल अधिकारी

मोगा धर्मकोट में श्मशानघाट के जीर्णोधार के लिए मिली दो लाख रुपये की राशि में से नगर कौंसिल के मुलाजिम 1.88 लाख रुपये की राशि खुद ही डकार गए। रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया कि कौंसिल ने श्मशानघाट में पांच महीने तक काम किया और श्मशानघाट की चारदीवारी बनाने के साथ ही शवदाह गृह का शैड भी डाला लेनिक सच्चाई ये है कि शैड भी पहले था चारदीवारी भी पहले से थी चार दीवारी का एक तरफ का कुछ हिस्सा आंधी में ढह गया था उसकी मरम्मत के लिए सिर्फ सीमेंट व रेत मंगाया गया था ईंटें भी शमशान घाट की पुरानी इस्तेमाल की गई थीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 09:50 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 06:27 AM (IST)
श्मशानघाट के लिए मिली ग्रांट ही डकार गए कौंसिल अधिकारी
श्मशानघाट के लिए मिली ग्रांट ही डकार गए कौंसिल अधिकारी

सत्येन ओझा, मोगा : धर्मकोट में श्मशानघाट के जीर्णोधार के लिए मिली दो लाख रुपये की राशि में से नगर कौंसिल के मुलाजिम 1.88 लाख रुपये की राशि खुद ही डकार गए। रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया कि कौंसिल ने श्मशानघाट में पांच महीने तक काम किया और श्मशानघाट की चारदीवारी बनाने के साथ ही शवदाह गृह का शैड भी डाला, लेनिक सच्चाई ये है कि शैड भी पहले था, चारदीवारी भी पहले से थी, चार दीवारी का एक तरफ का कुछ हिस्सा आंधी में ढह गया था, उसकी मरम्मत के लिए सिर्फ सीमेंट व रेत मंगाया गया था, ईंटें भी शमशान घाट की पुरानी इस्तेमाल की गई थीं।

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जानकारी के अनुसार फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के सांसद प्रो.साधू सिंह ने धर्मकोट के श्मशानघाट के जीर्णोद्धार के लिए अक्टूबर 2016 में दो लाख रुपये की धनराशि जारी की थी। इस धनराशि से श्मशानघाट की चारदीवारी के साथ ही शैड डालने का योजना तैयार की गई थी। धनराशि जारी होने के बाद नगर कौंसिल ने प्लान पर काम करने के बजाय श्मशानघाट की चारदीवारी की एक तरफ की दीवार का कुछ हिस्सा जो आंधी में ध्वस्त हो गया था, उसकी मरम्मत के लिए सीमेंट व रेत मंगाया था, लेकिन ईंटें श्मशानघाट की पुरानी ही प्रयोग की थी।

दीवार के एक हिस्से की मरम्मत होने के बाद वहां एक बोर्ड नगर कौंसिल की ओर से लगवा दिया गया, जिसमें दर्ज किया गया कि काम 9 दिसंबर 2016 को शुरू किया गया था, जो 26 अप्रैल 2017 तक चला। इस काम पर 1.83 लाख रुपये की लागत आई। टैंडर की शर्तों के अनुसार इस बोर्ड पर किसी ठेकेदार, जेई, एई, ईओ का फोन नंबर तक दर्ज नहीं किया गया, जबकि ये दर्ज करना नियमानुसार अनिवार्य है।

हैरानी की बात तो ये है कि सांसद निधि की राशि में हुए इस घपले के बावजूद खुद राशि जारी करने वाले सांसद साधू सिंह ने कभी इस मुद्दे पर बात ही नहीं की, जबकि उन्हीं की पार्टी का एक कार्यकर्ता रंजीत सिंह मामले को उठाता रहा, लेकिन जब सांसद ही चुप थे, तो नगर कौंसिल ने न तो रंजीत सिंह को आरटीआइ में तीन महीने गुजर जाने के बाद कोई जवाब दिया, न ही मौखिक रूप से इस मामले में कुछ बताया।

ईओ ने काटा फोन

ईओ धर्मकोट नगर कौंसिल दविदर सिंह तूर से बात करने की कोशिश की तो श्मशानघाट की बात शुरू होते ही फोन काट दिया, बाद में उनका फोन ही स्विच ऑफ हो गया।

कोट्स

मामला मेरे ध्यान में आया है, चुनाव के बाद चेक कराऊंगा।

प्रो. साधू सिंह


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