निजी अस्पताल को किया 80 हजार भुगतान, बिल 56 हजार का मिला
मोगा निजी अस्पतालों में अगर किसी मरीज को दाखिल कर रहे हैं तो जरा सोच लीजिए अस्पताल में कमरा लेना आपको महंगा पड़ सकता है। क
सत्येन ओझा, मोगा : निजी अस्पतालों में अगर किसी मरीज को दाखिल कर रहे हैं तो जरा सोच लीजिए, अस्पताल में कमरा लेना आपको महंगा पड़ सकता है। कमरा अस्पताल का है, लेकिन सराय एक्ट के बिना ही उसका उपयोग 'होटल' के कमरे के रूप में किया जाता है, वहां मेडिकल सुविधा फ्री में नहीं मिलती रूम रेंट पर सिर्फ कमरा मिलता है। मेडिकल एड लेनी है तो नर्सिंग चार्जेज, डॉक्टर चार्जेज अलग से देने होंगे। ये गोरखधंधा लंबे समय से अस्पतालों में चल रहा है। मरीज को अपने साथ होने वाली लूट का अहसास तब होता है जब कोई मरीज अपने परिजन का निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद अस्पताल में इलाज में आए खर्चे का क्लेम लेने जाता है।
पुराना मोगा निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त ओमप्रकाश ने अपनी पत्नी सुदेश की किडनी में पथरी का ऑपरेशन एक निजी अस्पताल से कराया। ओमप्रकाश का कहना है कि ऑपरेशन के बाद अस्पताल से पैकेज 56 हजार रुपये में तय होने के बावजूद उनसे 80 हजार रुपये वसूले गए, जबकि उन्हें बिल 56 हजार रुपये का ही दिया गया। पॉवरकॉम से बिल क्लेम करने के लिए उन्होंने जब सिविल सर्जन मोगा ऑफिस में क्लेम किया तो सिविल सर्जन ऑफिस से सरकारी नियम के अनुसार एम्स की गाइडलाइन के अनुसार क्लेम 19 हजार रुपये का पास करके विभाग को रैफर कर दिया।
अस्पताल का कमरे का मतलब होता है कि मरीज को वहां हर प्रकार की चिकित्सकीय सुविधा मिलेगी, कमरे में रहने वाले मरीज को अलग से नर्सिंग चार्ज, डॉक्टर का चार्ज नहीं देना होता है। ऐसे में बिल में शामिल होने वाले नर्सिंग चार्ज, डॉक्टर के अलग से चार्ज का क्लेम नियमानुसार नहीं दिया जाता है, क्योंकि ये दोनों चार्ज नियमों के विपरीत हैं। क्लेम में मरीज को दी जाने वाली दवाओं का सौ प्रतिशत भुगतान किया जाता है। रूम रेंट एम्स की गाइडलाइन के अनुसार काफी कम दिया जाता है, क्योंकि होटल का रूम लग्जरी आइटम में आने के कारण वहां 950 रुपये से ज्यादा प्रतिदिन किराए वाले कमरे में जीएसटी का 28 प्रतिशत भुगतान करना होता है, अस्पताल के कमरे को लग्जरी आइटम नहीं सेवा का माध्यम माना गया है। इसलिए जीएसटी का प्रावधान नहीं है। बावजूद अस्पताल के कमरे सराय एक्ट में पंजीकृत न होने के बावजूद महंगे तो हैं ही वहां पर मरीज को नर्सिंग डॉक्टर के चार्ज अलग से देने होते हैं।
कोट्स
मरीज निजी अस्पताल में अलग से कमरा लेकर इलाज कराता है तो उसके लिए नर्सिंग चार्जेज, डॉक्टर्स चार्जेज अलग से देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि ये सारी सुविधाएं तो हॉस्पीटल का ही पार्ट है, इसके लिए अलग से भुगतान का कोई नियम नहीं है। सिर्फ रूम रेंट भुगतान करने का ही प्रावधान है। निजी अस्पतालों की फीस पर नियंत्रण सिविल सर्जन के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
-डॉ.जसप्रीत कौर, सिविल सर्जन कोट्स
एम्स की गाइडलाइन सरकारी अस्पतालों के लिए हैं, निजी अस्पतालों के लिए नहीं। निजी अस्पतालों को अपने पूरे स्टाफ को नियमित रूप से वेतन देना ही होता है, कई बार एक मरीज के लिए दो से तीन चिकित्सकों का सलाह लेनी होती है, ऐसे में ऑन कॉल आने वाला डॉक्टर तो अपनी फीस लेगा ही।
-डॉ.संजीव मित्तल, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मोगा ब्रांच