बेटे की अर्थी देख बोला पिता सरकार सेना को दे खुली छूट
कोट ईसे खां : दो दिन से चुप-चुप दिख रहे शहीद जैमल ¨सह के पिता गुरुद्वारा साहिब में पाठी शहीद बेटे की पार्थिक देह आंखों के सामने आते ही दिल में पनप रहा गुस्से का गुबार फूट पड़ा। बेटे की पार्थिव देह को देख पिता जसवंत ¨सह बोल पड़े कोई मेरा संदेश सरकार को दे दे, सरकार कुछ नहीं कर सकती है, तो बस इतना कर दे सेना को खुली छूट दे दे, ताकि फिर किसी बुजुर्ग बाप को अपने जवान बेटे को कंधा देने की नौबत न आए,
सत्येन ओझा/तरसेम सचदेवा.कोट ईसे खां : दो दिन से चुप-चुप दिख रहे शहीद जैमल ¨सह के पिता गुरुद्वारा साहिब में पाठी शहीद बेटे की पार्थिक देह आंखों के सामने आते ही दिल में पनप रहा गुस्से का गुबार फूट पड़ा। बेटे की पार्थिव देह को देख पिता जसवंत ¨सह बोल पड़े कोई मेरा संदेश सरकार को दे दे, सरकार कुछ नहीं कर सकती है, तो बस इतना कर दे सेना को खुली छूट दे दे, ताकि फिर किसी बुजुर्ग बाप को अपने जवान बेटे को कंधा देने की नौबत न आए, रोज-रोज जवानों के शहीद होने से तो अच्छा है एक बार सेना को खुली छूट दे दो।
शहीद जैमल ¨सह के कोट ईसे खां स्थित आवास पर सुबह से ही लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था। शहीद के पिता जसवंत ¨सह बेटे की शहीद होने के बाद से ही दिल पर पत्थर रखकर अपनी आंखों में एक आंसू नहीं आने दिया, पहले उन्होंने जालंधर जाकर पुत्रवधू को दिलासा देकर संभालने का प्रयास किया, फिर घर में जैमल की मां व बहन को संभालने का प्रयास किया। बेटे की शहादत की खबर के बाद बेहाल परिजनों को संभालते-संभालते ही पाठी जसवंत ¨सह के 34 घंटे गुजर गए, लेकिन सीआरपीएफ के अधिकारी जब बेटे की पार्थिक देह को लेकर घर पहुंचे तो पिता खुद को रोक नहीं पाया, फफक-फफक कर रो पड़ा। सांसद निधि से सहायता देने का भरोसा
संस्कार के बाद शाम को परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे आप नेता भगवंत मान ने कहा कि वे अपनी सांसद निधि से परिवार को तो कुछ नहीं दे सकते हैं, लेकिन शहीद के नाम पर गेट, स्कूल की लाइब्रेरी या स्कूल में कोई कमरा बनबा सकते हैं, परिवार तय कर ले, क्या करना है तो वे इस काम के लिए सांसद निधि से ढाई लाख रुपये जारी कर देंगे। साथ ही उन्होंने शहीद की पत्नी का अकाउंट नंबर भी ले लिया और भरोसा दिया कि वे एनआरआइज की मदद से परिजनों की जितनी भी सहायता होगी, दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। मां की बिगड़ी हालत
दो दिनों से बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद रोये जा रही मां सुख¨बदर कौर बेटे की पार्थिक देह को सामने ज्यादा देर तक नहीं देख पाईं, उनकी हालत काफी बिगड़ गई। रोते-रोते अचानक बेहोश हो गईं, आनन-फानन में चिकित्सक की तलाश शुरू हुई, परिजनों के परिचित एक निजी चिकित्सक ने मौके पर पहुंचकर सुख¨बदर कौर का इलाज किया, तब थोड़ी देर बाद में उन्हें आराम मिल सका। उमड़ पड़ा सैलाब
शहीद के प्रति लोगों की कृतज्ञता कहा जाये या आतंकी मानसिकता के खिलाफ आक्रोश। पूरा कस्बा ही शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए उमड़ पड़ा था। अंतिम यात्रा में हाल ये था कि गांव गलौटी के मोड़ तक पहुंचते पहुंचते यात्रा में शामिल लोगों का हुजूम शहीद के कोट ईसे खां स्थित आवास के करीब ही था। हजारों की संख्या में लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए, तमाम लोगों ने तो अपना कारोबार तक ठप रखा।