मोगा की रितिका को पहली पोस्टिग में ही बड़ी जिम्मेदारी
मोगा महज 22 साल की उम्र में आइएएस बनीं मोगा की बेटी रितिका जिदल को ट्रेनिग के बाद हिमाचल के सोलन जिले में अपनी पहली पोस्टिग में ही चुनौती भरी जिम्मेदारी मिली है।
सत्येन ओझा, मोगा
महज 22 साल की उम्र में आइएएस बनीं मोगा की बेटी रितिका जिदल को ट्रेनिग के बाद हिमाचल के सोलन जिले में अपनी पहली पोस्टिग में ही चुनौती भरी जिम्मेदारी मिली है। रितिका जिदल को सोलन में असिस्टेंट कमिश्नर (ट्रेनिग) के रूप में नियुक्ति के साथ ही उन्हें कोरोना संक्रमण काल में होम क्वारंटाइन का नोडल अधिकारी बनाया गया है। मोगा की गलियों से निकलकर आइएएस तक के सफर में जिदगी से चुनौतियों को हराने वाली रितिका अपनी नई जिम्मेदारी से बेहद खुश हैं। वह कहती हैं कि इस समय जब हालात विपरीत हैं, तो ऐसे में जो लोग फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं, उनके साथ मानवता के हित में काम करते हुए खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं।
मोगा के परवाना नगर की मूल निवासी रितिका ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। रितिका ने यह सफलता उन परिस्थतियों में पाई, जब अक्सर लोग हार जाते हैं और बिखर जाते हैं। यूपीएससी परीक्षा के दौरान उनके पिता को कैंसर हो गया था। बीमारी की अंतिम स्टेज में वह लुधियाना में भर्ती रहे थे। इस दौरान रितिका ने अस्पताल में जाकर पिता की पूरी देखभाल की और वहीं पर समय मिलने पर वह अपनी तैयारी भी करती रहीं। पिता की लगातार बिगड़ती हालत के बावजूद रितिका ने खुद को टूटने नहीं दिया और वो कर दिखाया था जो विरले ही कर पाते हैं।
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12वीं में मोगा की थीं टॉपर
डीएन माडल स्कूल की छात्रा रही रितिका ने सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में मोगा में टॉप किया था। नार्थ रीजन में कॉमर्स में टॉप किया था। साल 2018 में उन्होंने यूपीएससी में देशभर में सामान्य कोटे में 88वां स्थान हासिल किया था।
लंबी ट्रेनिग के बाद हाल ही में रितिका को असिस्टेंट कमिश्नर ट्रेनिग के रूप में पहली पोस्टिग मिली है। रितिका का कहना है कि जिदगी में मुश्किलें रुलाएंगी, लेकिन उन हालात में अगर आपने हंसना सीख लिया, तो कोई वजह नहीं है कि आपने जो मुकाम तय किया है वह हासिल न हो।