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हरमनप्रीत व सोनू सूद की नगरी को न स्टेडियम मिला न थियेटर

मोगा हरमनप्रीत कौर जैसी क्रिकेटर भारतीय महिला टीम को देने वाले व बॉलीवुड को सोनू सूद जैसा अभिनेता देने वाले इस शहर के नेता न स्टेडियम संभाल कर रख सके न यहां के कलाकारों को थियेटर दे सके। साल 2008 में बने स्पो‌र्ट्स स्टेडियम को भी प्रशासन व शासन संभाल कर नहीं रख सका। युवाओं को नशे से दूर रहकर खेलों के क्षेत्र में आगे आने की सीख देने वाले नेता आज तक युवाओं के लिए खस्ताहाल होते जा रहे स्टेडियम को दुरुस्त करने का सपना नहीं बुन सके। रंग मंच को पाली भूपिदर सिंह नृत्य के क्षेत्र में संजीव जिम्मी जैसा डांस कोरियोग्राफर शहर ने दिया लेकिन आज तक किसी भी पार्टी की सरकार या प्रशासन यहां के कलाकारों को एक थियेटर तक नहीं दे सका। शहरी विकास योजना के तहत मिली तीन करोड़ रुपये की ग्रांट नगर निगम को मिली भी तो रीगल थियेटर जिसे रंग मंच का स्वरूप दिया जा सकता था लेकिन राजनीतिक स्वार्थ में उसे महज कम्युनिटी सेंटर का प्लान बना डाला।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 11:16 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 06:31 AM (IST)
हरमनप्रीत व सोनू सूद की नगरी को न स्टेडियम मिला न थियेटर

सत्येन ओझा, मोगा : हरमनप्रीत कौर जैसी क्रिकेटर भारतीय महिला टीम को देने वाले व बॉलीवुड को सोनू सूद जैसा अभिनेता देने वाले इस शहर के नेता न स्टेडियम संभाल कर रख सके, न यहां के कलाकारों को थियेटर दे सके।

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साल 2008 में बने स्पो‌र्ट्स स्टेडियम को भी प्रशासन व शासन संभाल कर नहीं रख सका। युवाओं को नशे से दूर रहकर खेलों के क्षेत्र में आगे आने की सीख देने वाले नेता आज तक युवाओं के लिए खस्ताहाल होते जा रहे स्टेडियम को दुरुस्त करने का सपना नहीं बुन सके। रंग मंच को पाली भूपिदर सिंह, नृत्य के क्षेत्र में संजीव जिम्मी जैसा डांस कोरियोग्राफर शहर ने दिया, लेकिन आज तक किसी भी पार्टी की सरकार या प्रशासन यहां के कलाकारों को एक थियेटर तक नहीं दे सका। शहरी विकास योजना के तहत मिली तीन करोड़ रुपये की ग्रांट नगर निगम को मिली भी तो रीगल थियेटर जिसे रंग मंच का स्वरूप दिया जा सकता था, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ में उसे महज कम्युनिटी सेंटर का प्लान बना डाला।

गौरतलब है जब साल 2008 में प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सरकार थी, मोगा के शिअद नेता जत्थेदार तोतासिंह शिक्षा मंत्री थे तब उनके मोगा को मल्टीपर्पस स्पो‌र्ट्स स्टेडियम मिला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने स्टेडियम का उद्घघाटन एक जनवरी 2008 को किया था। जब तक बादल सरकार रही, स्टेडियम में स्पो‌र्ट्स की गतिविधिया होती रहीं, बाद में साल 2012 में दोबारा बादल सरकार सत्ता में तो लौटी लेकिन तब चुनावों में जत्थेदार तोतासिंह चुनाव हारने के कारण किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने स्टेडियम को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने अथवा उसे और बेहतर बनाने पर ध्यान ही नहीं दिया, परिणाम स्वरूप स्टेडियम जगह-जगह से टूट चुका है। इंडोर स्टेडियम तो लंबे अर्से से खुला तक नहीं है। इंडोर स्टेडियम को अंतर्राष्ट्रीय मानक के स्तर का बैडमिटन कोर्ट बनना था,लेकिन तोता सिंह के यहां से चुनाव हारने के बाद आए किसी भी विधायक ने न तो वुडन फ्लोर लगवाने पर ध्यान दिया, न ही स्टेडियम की ओर रुख दिया, जिस कारण 14 करोड़ की लागत से बना ये स्टेडियम अब टूटा-फूटा ढांचा बनता जा रहा है।

यही स्थिति थिएटर की की भी है। इस शहर ने तमाम राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार दिए। सोनू सूद जैसा बॉलीवुड अभिनेता इसी शहर की मिट्टी से निकला है। पाली भूपिदर सिंह ने नाट्य लेखन व निर्देशन के क्षेत्र में पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था, वहीं संजीव जिम्मी ने पूरी दुनिया में भारतीय नृत्य शैली के नए आयाम गढ़ते हुए नए प्रयोग किए, लेकिन ये शहर ऐसे विलक्षण कलाकारों के होते हुए भी एक थियेटर तक नहीं दे सका। यहां के जनप्रतिनिधियों का सोच कोरे भाषण देने अथवा अपनी राजनीति तक सीमित रहा। नेताओं के बाद रीगल थियेटर के स्थान पर कम्युनिटी सेंटर बनाने के नाम पर 45 लाख रुपये से मूर्तियां लगाने को तो बजट है, लेकिन यहां के रंगमंचीय कलाकारों के लिए एक थियेटर देने के लिए नहीं है।


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