Move to Jagran APP

सात माह में भूला दिया पुलवामा में शहीद हुए जैमल सिंह को

पुलवामा में 14 फरवरी को शहीद हुए गांव गलौटी के शहीद जैमल सिंह को प्रशासन सात माह बाद ही भुला चुका है। शहादत के समय शहीद के गांव में पहुंचे बडे़-बड़े नेताओं ने शहीद के नाम पर स्कूल व धर्मशाला आदि के नाम रखने की घोषणाएं की थीं लेकिन शहीद जैमल सिंह के पिता द्वारा डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस से मुलाकात कर आग्रह करने के बाद भी गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं रखा गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 09:44 PM (IST)
सात माह में भूला दिया पुलवामा में शहीद हुए जैमल सिंह को

तरसेम सचदेवा, कोटइसे खां (मोगा) : पुलवामा में 14 फरवरी को शहीद हुए गांव गलौटी के शहीद जैमल सिंह को प्रशासन सात माह बाद ही भुला चुका है। शहादत के समय शहीद के गांव में पहुंचे बडे़-बड़े नेताओं ने शहीद के नाम पर स्कूल व धर्मशाला आदि के नाम रखने की घोषणाएं की थीं, लेकिन शहीद जैमल सिंह के पिता द्वारा डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस से मुलाकात कर आग्रह करने के बाद भी गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं रखा गया। डीसी ने इस संबंध में कोटइसे खां नगर पंचायत को पत्र लिखकर कार्रवाई करने के लिए कहा था। हैरानी इस बात की है कि इस मामले में कोटइसे खां नगर पंचायत अध्यक्ष अश्वनी कुमार पिटू ने बताया उन्हें डीसी की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। नगर पंचायत ने खुद भी जरूरत नहीं समझी कि वे शहीद के नाम स्कूल का नाम रखने की पहल कर पाते।

loksabha election banner

बता दें कि डीसी संदीप हंस ने शहीद के पिता की मांग पर 10 जुलाई को इस पत्र पर एक्शन लेते हुए जिला रक्षा सेवाएं भलाई अफसर के माध्यम से कोटइसे खां नगर पंचायत को पत्र भेजकर जल्द प्रस्ताव पास करने के आदेश जारी कर दिए थे। गौर रहे कि किसी भी सरकारी इमारत या सड़क का नाम रखने से पहले संबंधित पंचायत, नगर पंचायत, नगर कौंसिल या नगर निगम से प्रस्ताव पास कराना जरूरी होता है।

शहीद के पिता जसवंत सिंह ने बताया कि उनके बेटे जैमल सिंह ने दसवीं तक की पढ़ाई कोटइसे खां के सरकारी हाई स्कूल में की थी। इसके बाद जैमल सिंह सीआरपीएफ में भर्ती हुए। कुछ समय पहले पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में वह देश के लिए शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि बेटे की शहादत के समय तमाम वादे किए थे लेकिन अभी तक शहीद के नाम पर कोई स्मारक नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि जिस स्कूल में उनका बेटा पढ़ा था, कम से कम उस स्कूल का नाम तो उसके नाम पर रखा जाना चाहिए। ताकि जैमल सिंह की शहादत को दुनिया याद रखे। मामले की करवाएंगे जांच : डीसी

डीसी संदीप हंस का कहना है कि जिस समय मामला उनके संज्ञान में आया था तभी उन्होंने आदेश कर दिया था। बाद में किसी ने बताया नहीं, अब वे पता कराते हैं कि इस मामले में क्या हुआ। शहीद को सम्मान देना तो सभी का फर्ज है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.