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निर्भया फंड के नाम पर मजाक, 50 लाख का प्रोजेक्ट, मिली फूटी कौड़ी भी नहीं

मोगा दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया कांड के समय तत्कालीन केंद्र की मनमोहन सरकार की ओर से घोषित निर्भया फंड मोगा जिले के लिए भद्दा मजाक साबित हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 11:35 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 11:35 PM (IST)
निर्भया फंड के नाम पर मजाक, 50 लाख का प्रोजेक्ट, मिली फूटी कौड़ी भी नहीं
निर्भया फंड के नाम पर मजाक, 50 लाख का प्रोजेक्ट, मिली फूटी कौड़ी भी नहीं

सत्येन ओझा, मोगा

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दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया कांड के समय तत्कालीन केंद्र की मनमोहन सरकार की ओर से घोषित निर्भया फंड मोगा जिले के लिए भद्दा मजाक साबित हुई है। इस फंड में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 50 लाख रुपये की महत्वाकांक्षी योजना बनाकर साल 2018 में भेजी थी, उसके बाद कई रिमाइंडर भी भेज दिए, लेकिन सरकार से फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। सरकार का ये मजाक सिर्फ निर्भया फंड के साथ ही नहीं हुआ है बल्कि जिला सामाजिक भलाई कल्याण अधिकारी के माध्यम से अनुसूचित जाति की दुष्कर्म पीड़ितों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि मामले में भी हुआ है। साल 2018-19 के बाद सरकार ने इस मद में कोई राशि ही जारी नहीं की है। जिसके चलते पिछले तीन से पांच साल से क्षतिपूर्ति राशि का इंतजार कर रही पीड़िताओं को सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ छलावा मिला है।

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क्या है निर्भया फंड

महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर शुरू किए गए निर्भया फंड में यूपीए सरकार ने 2013 के बजट में 1000 करोड़ की राशि आवंटित की थी। 2014-15 और 2016-17 में एक-एक हजार करोड़ और आवंटित किए गए। साल 2015 में सरकार ने गृह मंत्रालय की जगह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्भया फंड को नोडल एजेंसी बना दिया था।

निर्भया फंड के तहत पूरे देश में दुष्कर्म संबंधी शिकायतों और मुआवजे एवं क्षतिपूर्ति के निस्तारण के लिए एकीकृत वन स्टॉप सेंटर बनने थे। जिससे पीड़िताओं को कानूनी और आर्थिक मदद भी मिले। उनकी पहचान भी छिपी रहे। सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में सीसीटीवी कैमरे लगने थे। जिससे अपराधी की पहचान की जा सके।

निर्भया फंड के तहत डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने जिले की एक महत्वाकांक्षी योजना साल 2018 में तैयार करके केंद्र सरकार को भेजी थी। 50 लाख रुपये की इस योजना में वन स्टाप सेंटर की बिल्डिंग, काउंसलिग सेंटर, सीसीटीवी कैमरे लगाए आदि को शामिल किया था। बाद में दो बार सरकार को रिमाइंडर भी भेजा, लेकिन अभी तक इस योजना में कोई राशि नहीं मिली है। इसकी पुष्टि डीसी संदीप हंस ने की है।

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दुष्कर्म पीड़िताओं को ठेंगा

जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी रशपाल सिंह ने पुष्टि की है कि अनुसूचित जाति की दुष्कर्म पीड़ितों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि का बजट साल 2018-19 के बाद नहीं आया। अभी तक इस राशि के तहत पांच पीड़ित कतार में है। सरकार को रिमाइंडर भेज दिया गया है, जैसे ही फंड आएगा, संबंधित पीड़ितों को दे दिया जाएगा।


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