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जसवंत कंवल पंजाबी मातृभाषा के एक युग पुरुष : कर्मजीत

मोगा पंजाब के लिए बड़े मान वाली बात है कि हम पंजाबी मातृभाषा के एक युग पुरुष उपन्यासकार जसवंत सिंह कमल की शताब्दी को एक पूर्णमासी के रूप में मना रहे हैं। गांव ढुढीके में वीरवार को उपन्यासकार जसवंत कंवल का 101वां जन्मदिन गर्मजोशी के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 06:47 PM (IST)
जसवंत कंवल पंजाबी मातृभाषा के एक युग पुरुष : कर्मजीत
जसवंत कंवल पंजाबी मातृभाषा के एक युग पुरुष : कर्मजीत

जागरण सहयोगी, ढुड्डीके (मोगा) : पंजाबी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासों और साहित्य के रचयिता जसवंत सिंह कंवल का 101वां जन्मदिन वीरवार को कमल के गांव ढुड्डीके में साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में गर्मजोशी के साथ मनाया गया। इस मौके पर पंजाब के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे साहित्य प्रेमियों सहित पंजाब के साहित्यकारों और कंवल के चहेतों ने उन्हें ढुड्डीके पहुंचकर जहां जन्मदिन की बधाइयां दीं, वही उनकी अच्छी सेहत के लिए कामना भी की। गौर हो कि कंवल ने अब तक के अपने सफर में 68 से अधिक उपन्यास लिखे हैं और अनेक लेख व रचनाएं पंजाबी साहित्य के पाठकों की झोली में डाली हैं।

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इस अवसर पर भाषा विभाग, पंजाब की डायरेक्टर कर्मजीत कौर ने उपन्यासकार जसवंत सिंह कंवल के बारे में कहा कि पंजाब के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि हम पंजाबी मातृभाषा के एक युग पुरुष उपन्यासकार की शताब्दी को उनके साथ मना रहे हैं। इस मौके पर भाषा विभाग, पंजाब की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. वीरपाल कौर भी उपस्थित थीं।

डायरेक्टर कर्मजीत कौर ने पंजाबी साहित्य रत्न जसवंत सिंह कंवल की जन्म शताब्दी को समर्पित एक मैगजीन भी उपन्यासकार जसवंत सिंह कंवल से रिलीज करवाई। इसमें जसवंत कंवल की जीवनी और लेखनी के बारे भरपूर जानकारी दी हुई है।

इस मौके पर तेजस्वी मान प्रधान केंद्रीय साहित्य सभा, बलदेव सिंह सड़कनामा, सुरजीत पातर, परमिंदर कौर नागरा, शिअद 1920 के महासचिव जत्थेदार बूटा सिंह, भुपिंदर भाल सिंह, राज्यपाल रौंता, साहित्यकार राजविंदर रौंता आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

गौर हो कि पंजाब के महान उपन्यासकार जसवंत कंवल की सेहत ठीक न होने के कारण वह आज बेड पर ही आराम करते हुए अपने चाहने वालों से अपने 101वें जन्मदिन की शुभकामनाएं स्वीकार कर रहे थे। मगर, अपनी जिदगी की एक सदी पूरी करने वाले कंवल के चेहरे पर पंजाब के लिए चिता साफ झलक रही थी। जसवंत कंवल साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक समागमों में पंजाब की चिता करते कहते थे कि पंजाब लावारिस है।

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