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अस्पताल में आवारा कुत्तों की भरमार, मरीजों को बना सकते हैं शिकार

मोगा : शहर के 50 वार्डों के साथ साथ सिविल अस्पताल में भी आवारा कुत्तों की भरमार है। अस्पताल के ब्लड बैंक और इमरजेंसी ब्लाक के बाहर आवारा कुत्तों का झुंड हर समय बैठा रहता है, जिसके चलते मरीज तथा उनके तीमारदार कभी भी उनका शिकार हो सकते हैं, दूसरी ओ अस्पताल प्रबंधन मरीजों की सुरक्षा को लेकर मूकदर्शक बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 10:16 PM (IST)
अस्पताल में आवारा कुत्तों की भरमार, मरीजों को बना सकते हैं शिकार
अस्पताल में आवारा कुत्तों की भरमार, मरीजों को बना सकते हैं शिकार

संवाद सहयोगी, मोगा : शहर के 50 वार्डों के साथ साथ सिविल अस्पताल में भी आवारा कुत्तों की भरमार है। अस्पताल के ब्लड बैंक और इमरजेंसी ब्लाक के बाहर आवारा कुत्तों का झुंड हर समय बैठा रहता है, जिसके चलते मरीज तथा उनके तीमारदार कभी भी उनका शिकार हो सकते हैं, दूसरी ओ अस्पताल प्रबंधन मरीजों की सुरक्षा को लेकर मूकदर्शक बना हुआ है।

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बेशक सिविल अस्पताल में अभी तक कुत्ते के काटने से कोई व्यक्ति घायल नही हुआ है, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि आवारा कुत्तों का झुंड अस्पताल परिसर में किसी मरीज, तीमारदार या फिर छोटे बच्चे को नहीं काटेगा। हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल परिसर के बाहर समेत कई बार लावारिस कुत्ते अस्पताल की इमरजेंसी में भी घूमते पाए गए हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बावजूद इसके कोई गंभीरता नही दिखाई। गर्मी के दिनों में ठंडक पाने के लिए आवारा कुत्ते अस्पताल की इमरजैंसी के अंदर फर्श पर सोते हैं। इमरजेंसी में सफाई करने वाले कर्मचारी द्वारा सफाई के समय पर उन्हें वहां से भगा तो दिया जाता है, मगर कुछ देर के बाद फिर से कुत्ते वहीं पर आकर डेरा जमा लेते है। अस्पताल में घूम रहे 20 से 25 लावारिस कुत्ते

बता दें कि सिविल अस्पताल परिसर में लावारिस कुत्तों की संख्या लगभग 20 से 25 तक है। सिविल सर्जन की रिहायश के पास भी लावारिस कुत्तों का एक झुंड बैठा ही होता है और गायनी वार्ड समेत इमरजैंसी के बाहर, ब्लड बैंक के बाहर और ओपीडी ब्लाक के पास भी आवारा कुत्ते पूरा दिन घूमते हैं। अस्पताल का स्टाफ भी दुखी

लावारिस कुत्तों के कारण जहां लोगों में दहशत है, वहीं अस्पताल परिसर में गंदगी भी फैल रही है, जिसको लेकर अस्पताल स्टाफ में भी काफी रोष है। मरीज के रिश्तेदार गांव ढुडीके निवासी जरनैल ¨सह, मन¨जदर ¨सह, प्रीतम कौर आदि ने बताया कि अस्पताल में आवारा कुत्तों की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। बेशक यह कुत्ते किसी को नही काटते है, लेकिन झुंड में बैठे कुत्तों के पास से गुजरने से भी डर लगता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को आवारा कुत्तों को यहां से बाहर करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। फोटो-18ए

लोग खुद भी हैं जिम्मेदार : एसएमओ

सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर राजेश अत्री का कहना है कि आवारा कुत्तों का जमावड़ा सिविल अस्पताल परिसर में लगा रहता है, इससे इंकार नही किया जा सकता। मगर इसके लिए कहीं न कहीं मरीज व उनके रिश्तेदार भी जिम्मेदार है, क्योंकि मरीज के तीमारदारों द्वारा अस्पताल परिसर में कुत्तों को खानपान की वस्तुओं डाली जाती है, जिस कारण पूरा दिन आवारा कुत्ते अस्पताल परिसर में ही मंडराते रहते है। उन कहा कि बावजूद इसके वह निगम अधिकारियों के ध्यान में उक्त समस्या लाएंगे और जल्द समाधान की मांग करेंगे।


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