सुख और दुख जीवन के दो पहलू: सहज प्रकाश
गीता भवन में जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन जारी है।
संवाद सहयोगी, मोगा : गीता भवन में जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन जारी है। कथा में कथावाचकों द्वारा भक्तों को प्रभु महिमा से ओत प्रोत किया जा रहा है। वहीं भक्त भी कथा का रसपान कर अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे है। इस दौरान स्वामी स्वामी सहज प्रकाश ने कहा कि सुख व दुख जीवन के दो पहलू हैं जो निरंतर साथ साथ चलते है। श्रीमद भागवत ग्रंथ ज्ञान का भंडार है जिसमें व्यक्ति को सही दिशा पर जाने की प्रेरणा मिलती है। वर्तमान में प्राणी सुख की घड़ी में ईश्वर को भूल जाता है और जब दुख का वक्त आता है है तब भगवान को दोष देता है। उन्होंने कहा कि अगर हम दुख व सुख दोनों में भगवान को याद रखे तब दुख की घड़ी सुख में बदल जाती है। इसके बाद कुणाल गर्ग ने कहा कि गर्भ से अगर मुक्ति पाना है तो हमें भगवान की नित्य आराधना करनी चाहिए ताकि हम जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाए। हमें अपने गुरु के दर्शाए मार्ग पर चलकर जीवन में बसी बुराइयों को खत्म करना चाहिए। इस दौरान ध्रुव की कथा का वर्णन किया। इससे पूर्व पंडित नन्द किशोर, रामकुमार द्वारा मंत्रोच्चारण से गणपति और कलश पूजन किया।