Fake appointment letter पर महिला नौ साल करती रही Teacher की नौकरी, ऐसे हुई हेराफेरी
एक महिला नौ साल तक सरकारी टीचर की नौकरी करती रही। मामले का मास्टरमाइंड सुपरिंटेंडेंट डीईओ दफ्तर मोगा से सेवानिवृत्त हो चुका है।
जेेेेेएनएन, मोगा। विजिलेंस ब्यूरो मोहाली ने फर्जी नियुक्ति पत्र पर नौकरी करने के मामले में तीन साल की लंबी जांच के बाद अध्यापिका, शिक्षा विभाग के रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट व वरिष्ठ सहायक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यह मामला लुधियाना, फिरोजपुर व मोगा जिले के संबंधित है। इस मामले का मास्टरमाइंड सुपरिंटेंडेंट डीईओ दफ्तर मोगा से सेवानिवृत्त हो चुका है।
हैरानी की बात है कि डीपीआइ पंजाब चंडीगढ़ ने फर्जी नियुक्ति पत्र पर नौकरी करने वाली अध्यापिका की सेवाएं भी रेगुलर कर दी थीं। उसका सर्विस के दौरान पीएफ भी कटता रहा। हेराफेरी करने वालों का हौसला इस कदर है कि मामले की पोल खुलने के बाद अब डीईओ फिरोजपुर तथा डीपीआइ (सीनियर सेकेंडरी) चंडीगढ़ दफ्तर से अध्यापिका की नियुक्ति व उसे रेगुलर करने से संबंधित पूरा रिकॉर्ड ही गायब कर दिया गया है।
विजिलेंस ब्यूरो के सहायक इंस्पेक्टर (जनरल) आशीष कपूर ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ प्राथमिक जांच के बाद केस दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। उम्मीद है कि आरोपितों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। विजिलेंस ब्यूरो ने मोहाली स्थित थाने में फ्लाइंग स्कवाड में शामिल सोशल साइंस अध्याापिका हरिंदर कौर, तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट मंगल दास ग्रोवर, डीईओ फिरोजपुर के तत्कालीन वरिष्ठ सहायक दर्शन सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत 10 अक्टूबर को केस दर्ज किया है।
ऐसे हुई हेराफेरी
एफआइआर के मुताबिक अध्यापिका हरिंदर कौर पर आरोप है कि उसने डीपीआइ (सीनियर सेकेंडरी) दफ्तर की ओर से 24 अगस्त, 2009 को लुधियाना जिले में तैनाती के लिए जाली नियुक्ति पत्र तैयार किया था। बाद में किसी कारण 23 नवंबर, 2009 को लुधियाना में नियुक्ति पत्र पर किसी प्रकार से नियुक्ति न होने की बात लिखवाकर उस पर लुधियाना डीईओ दफ्तर का असली दस्ती नंबर डलवा लिया था।
लुधियाना डीईओ दफ्तर का असल डिस्पैच नंबर लगा होने के आधार पर उसे फिरोजपुर डीईओ ऑफिस में नियुक्ति पत्र थमा दिया गया। डीईओ फिरोजपुर दफ्तर में 7 दिसंबर, 2009 को नियुक्ति पत्र पेश किया गया था। जिस पर उक्त अध्यापिका फिरोजपुर के एक एलीमेंट्री स्कूल में नौकरी करने लगी। सुपरिंटेंडेंट व वरिष्ठ सहायक विभाग से रिटायर्ड हो चुके हैं।
विजिलेंस ब्यूरो की प्राथमिक जांच में पता चला है कि जाली नियुक्ति पत्र के आधार पर डीपीआइ (सीनियर सेकेंडरी) दफ्तर की ओर से 15 जनवरी, 2010 को अध्यापिका को पीएफ खाता भी अलाट कर दिया गया था। साल 2012 में विभाग ने उसे कंफर्म कर दिया था। इस घपले का पर्दाफाश 2016 में हुआ था और अब लंबी जांच के बाद केस दर्ज हुआ है।
विजिलेंस को बड़े घपले की आशंका
अपनी जांच रिपोर्ट में विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि डीईओ फिरोजपुर दफ्तर से अध्यापिका का सर्विस रिकॉर्ड गुम करने और डीपीआइ दफ्तर में से मंडल अफसर बलजीत कौर की पड़ताल रिपोर्ट गायब करने के मामले की विस्तार से जांच की जाए, तो इसमें कई और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। यह भी संभव है कि मामला एक अध्यापिका तक सीमित न हो, फर्जी नियुक्तियां कराने वाला पूरा गैंग ही काम कर रहा हो।
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