गेहूं स्टोरेज को लगी छह किलोमीटर लंबी लाइन
चुनावी मौसम में भी सरकार के तमाम दावों के बावजूद मंडी में गेहूं खरीद में भारी अव्यवस्थाओं के चलते किसान कड़ी धूप व खराब मौसम में सड़क किनारे 12-12 घंटे खड़े होकर मंडी की बजाय साइलो प्लांट में गेहूं स्टोर कराने के लिए लंबी लाइनों में खड़े
सत्येन ओझा, मोगा
चुनावी मौसम में भी सरकार के तमाम दावों के बावजूद मंडी में गेहूं खरीद में भारी अव्यवस्थाओं के चलते किसान कड़ी धूप व खराब मौसम में सड़क किनारे 12-12 घंटे लंबी लाइनों में मंडी की बजाय साइलो प्लांट में गेहूं बेचने के लिए खड़े हैं।
इसके लिए मोगा के डगरू गांव स्थित साइलो प्लांट के दोनों ओर इन दिनों तीन-तीन किलोमीटर लंबी (कुल छह किलोमीटर) लाइनें लगी हुई हैं। मंडियों में जहां किसानों को अपनी फसल बेचने में चार से पांच दिन लग रहे हैं, वहीं साइलो प्लांट में 6 से लेकर 12 घंटे में किसान गेहूं बेचकर घर लौट रहे हैं।
साइलो प्लांट में 12,500 टन क्षमता के 16 स्टील के ड्रम हैं। ये ड्रम तकनीकी रूप से इस प्रकार से बनाए गए हैं कि इनके अंदर गेहूं स्टोर होने के बाद बाहरी वातावरण गर्मी, सर्दी व बारिश का इस पर कोई प्रभाव नहीं होता है। इसके कारण कई सालों तक साइलो प्लांट में गेहूं सुरक्षित रहता है। इस प्लांट की स्टोरेज क्षमता दो लाख मीट्रिक टन की है। जिसमें अभी 90 हजार मीट्रिक गेहूं पिछले साल का पड़ा है। ऐसे में इस बार किसान यहां पर 1.10 लाख टन गेहूं स्टोर करवा सकते हैं।
इस संदर्भ में साइलो प्लांट के टर्मिनल मैनेजर अमनदीप सिंह ने बताया कि प्रतिदिन नौ हजार टन गेहूं स्टोरेज के लिए पहुंच रहा है। वीरवार को गेहूं की मात्रा ज्यादा हो सकती है। प्रतिदिन लगभग 1300 ट्रॉलियां साइलो प्लांट में उतर रही हैं। जिस कारण साइलो प्लांट के दोनों तरफ तीन किलोमीटर मोगा की ओर तथा तीन किलोमीटर फिरोजपुर की ओर हाईवे पर गेहूं से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लाइनें लगी हुई हैं।
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मंडी की बजाय जल्द होती है खरीद
छह घंटे से गेहूं बेचने के लिए लाइन में लगे गांव खोसा कोटला के किसान गुरपाल सिंह ने बताया साइलो प्लांट में अधिकतम 12 घंटे लगते हैं। न लेबर की जरूरत, न बारदाने की और न ही तुलाई की। प्रति किले उपज का किसान को लगभग 1000 रुपये का फायदा होता है। पेमेंट भी समय पर मिल जाती है। मंडी में 4 से 5 दिन लगते हैं। ऐसे में मोगा जिले से संबंधित एवं फिरोजपुर के कुछ हिस्से के किसान मंडी में जाने की बजाय साइलो प्लांट में गेहूं बेचने को पहल देते हैं। मोगा मंडी में पानी की बड़ी समस्या है। खराब मौसम के चलते तिरपाल आदि की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। लावारिस पशुओं के कारण मंडी में हर समय रखवाली करनी पड़ती है।
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ये रहा अनुभव
गांव भेखा से 70 क्विंटल गेहूं लेकर पहुंचे जसकरण सिंह ने बताया कि वह सुबह गेहूं लेकर आए थे और साढ़े चार घंटे में ही उनका गेहूं स्टोर हो गया है। अब वह घर जा रहे हैं। पेमेंट की रसीद मिल चुकी है।
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ये है मोगा मंडी के हालात
मोगा मंडी की ओर जाने वाली दोनों सड़कें खुदी पड़ी हैं। मेन मंडी में गेहूं की ढेरियां लग चुकी हैं। किसान पांच-पांच दिन से मंडी में गेहूं बिकने का इंतजार कर रहे हैं। खरीद एजेंसियां नमी ज्यादा बताकर इंतजार करा रही हैं।
डीसी संदीप हंस के अनुसार जिले की मंडियों में अब तक 93,602 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है, जबकि 1,25,877 मीट्रिक टन गेहूं की आमद हो चुकी है। 23,583 मीट्रिक टन गेहूं की लिफ्टिंग हो चुकी है।