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धुंए में उड़ रही सरकारी आदेशों की धज्जि्यां

किसान सरेआम पराली को आग लगाकर सरकारी आदेशों की धज्जियां धुंए में उड़ा रहे हैं। रविवार को गांव चड़िक को जाने वाली सड़क पर खेतों में पराली को आग लगाई हुई थी। यहां से गुजरने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार को अवकाश होने के कारण पराली को बड़ी मात्रा में किसान आग लगाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:10 AM (IST)
धुंए में उड़ रही सरकारी आदेशों की धज्जि्यां
धुंए में उड़ रही सरकारी आदेशों की धज्जि्यां

राज कुमार राजू, मोगा : किसान सरेआम पराली को आग लगाकर सरकारी आदेशों की धज्जियां धुंए में उड़ा रहे हैं। रविवार को गांव चड़िक को जाने वाली सड़क पर खेतों में पराली को आग लगाई हुई थी। यहां से गुजरने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार को अवकाश होने के कारण पराली को बड़ी मात्रा में किसान आग लगाते हैं। दूसरी तरफ किसान बलवीर सिंह ने बताया कि भले ही सरकार किसानों को नाड़ व पराली को आग नहीं लगाने के लिए समय-समय पर जागरूक करती है लेकिन उनको मजबूरीवश पराली को आग लगानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली को जोतने पर बहुत खर्च होता है। सरकार किसानों को कोई भी मुआवजा नहीं दे रही है। इस कारण मजबूरन किसानों को आग लगानी पड़ी है। खेतों में अगली फसल की बिजाई करनी होती है ऐसे में किसानों के पास और भी कोई विकल्प नहीं रहता है। सरकार मुहैया करवाए मशीनरी

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किसान हरिदर सिंह ने कहा कि पराली को आग लगाना किसानों की मजबूरी है। अगर सरकार किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए अपने खर्च पर मशीनरी मुहैया करवाए तो किसान पराली जलाना बंद कर देंगे। साथ ही प्रति एकड़ आर्थिक मदद प्रदान की जाए। सरकार न तो मशीनरी मुहैया करवाती है तथा न ही आर्थिक मदद मिलती है। इस कारण मजबूरन किसानों को धान की पराली को आग लगानी पड़ती है। वह मानते है कि ऐसा करने से खेतों में फसलों के मित्र कीड़े नष्ट होने के साथ वातावरण भी दूषित होता है। पराली को हरे चारे में मिलाकर बनाते है पशु चारा

श्री कृष्ण गोधाम के प्रधान एडवोकेट विनय कश्यप ने कहा कि उनके द्वारा समय समय पर गांवों के किसानों की पराली से बनी गांठों को खरीदा जाता है। इसे हरे चारे में मिलाकर प्रयोग में लाया जाता है। कई किसानों द्वारा भी पराली को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल करने में काफी रुचि दिखाई जा रही है। इसकी बदौलत कई गांवों में किसानों ने पराली की गांठे बनाकर पराली जमा कर रहे है। ऐसे में सरकार को गांठे को बनाने के लिए गोशालाओं व किसानों को सस्ते दाम पर उपकरण मुहैया करवाने होगें। इससे उक्त कार्य में तेजी लाई जा सके।


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