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सतसंग के सदगुण जीवन को प्रकाश से भर देते हैं : दिवाकर भारती

आर्य समाज न्यू टाऊन के वैदिक प्रवक्ता पंडित दिवाकर भारती आर्य ने सोशल मीडिया में सत्संग के जीवन तारक महत्व के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि वेद में ईश्वर पिता प्रेरित करते है कि सत्पुरुषों का संग मनुष्य को ज्ञानी बनाकर उसके जीवन को प्रकाशित व सुवासित कर देता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 05:46 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 05:46 PM (IST)
सतसंग के सदगुण जीवन को प्रकाश से भर देते हैं : दिवाकर भारती
सतसंग के सदगुण जीवन को प्रकाश से भर देते हैं : दिवाकर भारती

संस, मोगा : आर्य समाज न्यू टाऊन के वैदिक प्रवक्ता पंडित दिवाकर भारती आर्य ने सोशल मीडिया में सत्संग के जीवन तारक महत्व के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि वेद में ईश्वर पिता प्रेरित करते है कि सतपुरुषों का संग मनुष्य को ज्ञानी बनाकर उसके जीवन को प्रकाशित व सु-वासित कर देता है। अज्ञानी, अनाड़ी का संग मनुष्य को पहले ही गिरा देता है। हमें अपने से उत्तम व्यक्ति का साथ करना चाहिए। ऋग्वेद में कहा गया है कि कंजूस, हिसक, मूर्ख, अज्ञानी की संगति नहीं करनी चाहिए। मनुष्य अपनी संगति से पहचाना जाता है। दिवाकर भारती आर्य ने कहा कि वेद में परमेश्वर उपदेश करते है कि जहां भी रहो ज्ञानी, दानी एवं प्रेमीजनों की तरह रहे। उत्तम पुरुषों की निरंतर संगति से मनुष्य का हृदय चिरकाल तक उदार व कोमल बना रहता है। दुर्जन पुरुषों के मेलजोल के कारण व्यक्ति सज्जन पुरुषों से दूर हो जाता है। विद्वानों के संग से निरोगता, आस्तिकता, सत्कर्मों में रुचि, उदारता, सदाचार, सद-विचार, सद-व्यवहार, अधर्म में अरूचि एवं सबसे बराबर प्रेम होता है।

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