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ड्रिप सिस्टम से खेती कर किसान बचाएंगे 70 प्रतिशत पानी

मोगा इस बार जिले में 114 एकड़ क्षेत्र में मक्की की पैदावार करने की तैयारी कर रहे किसान खेतों में ड्रिप (तुपका) सिस्टम से सिचाई कर 60-70 प्रतिशत पानी की बचत करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 09:38 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 06:27 AM (IST)
ड्रिप सिस्टम से खेती कर किसान बचाएंगे 70 प्रतिशत पानी
ड्रिप सिस्टम से खेती कर किसान बचाएंगे 70 प्रतिशत पानी

जागरण संवाददाता, मोगा : इस बार जिले में 114 एकड़ क्षेत्र में मक्की की पैदावार करने की तैयारी कर रहे किसान खेतों में ड्रिप (तुपका) सिस्टम से सिचाई कर 60-70 प्रतिशत पानी की बचत करेंगे। कृषि विभाग ने 100 एकड़ क्षेत्र में मक्की की फसल ड्रिप सिस्टम से सिचाई का लक्ष्य रखा था, लेकिन किसानों ने उससे ज्यादा उत्साह दिखाया, जिले के 68 किसानों ने 114 एकड़ क्षेत्र में ड्रिप सिस्टम से सिचाई के लिए आवेदन किया है, ये सिस्टम खेतों में लगाने के लिए सरकार ने 90 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की है।

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पंजाब सरकार ने भूमिगत जल संकट को देखते हुए ड्रिप सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए इस पर 90 प्रतिशत सब्सिडी का ऐलान किया है। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. परमजीत सिंह बराड़ ने बताया कि ड्रिप सिस्टम से सिचाई में लगभग 60-70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इस सिस्टम को लगाने पर लगभग एक लाख रुपये का खर्चा आता है, जिसमें से 90 प्रतिशत सब्सिडी सरकार देगी। इस प्रकार किसान महज 10 हजार रुपये में ही ये सिस्टम लगा सकेंगे। उन्होंने बताया कि मक्की के अलावा किसान इस तकनीक का प्रयोग कपास, मिर्च, गन्ना, आलू की खेती में भी सिचाई के लिए कर सकते हैं। डॉ. बराड़ ने बताया कि इस विधि से किसान सिर्फ 30 मिनट में एक एकड़ जमीन पर सिचाई कर सकता है, जिससे न सिर्फ पानी की बचत होती है, बल्कि फसल का झाड़ भी बढ़ता है, मजदूर भी कम लगते हैं।

बधनीकलां गांव के किसान प्रितपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी चार एकड़ जमीन पर ड्रिप सिचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए अपने आप को रजिस्टर्ड कराया है। गौरतलब है कि जिला कृषि विभाग ने इस वर्ष मक्की की फसल में जिले में 2500 हैक्टेयर क्षेत्र में लाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया है।

पौधे की जड़ तक पहुंचाया जाता है बूंद-बूंद पानी

ड्रिप सिस्टम सिचाई की उन्नत तकनीक है। इस विधि से पानी बूंद-बूंद करके पौधा या पेड़ की जड़ में सीधे पहुंचाया जाता है जिससे पौधे की जड़ें पानी को धीरे-धीरे सोखती रहते हैं। पानी के साथ खाद को भी सीधा पौधे की जड़ तक पहुंचाया जाता है। इससे खाद लगाने के लिए अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती है।


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