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हर किसी की जेब पर भारी पड़ने लगे डीजल-पेट्रोल के दाम

मोगा : हर किसी की जेब पर इस समय पेट्रोल और डीजल के बढ़े दाम भारी पड़

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 07:12 PM (IST)
हर किसी की जेब पर भारी पड़ने लगे डीजल-पेट्रोल के दाम
हर किसी की जेब पर भारी पड़ने लगे डीजल-पेट्रोल के दाम

जागरण संवाददादा, मोगा : हर किसी की जेब पर इस समय पेट्रोल और डीजल के बढ़े दाम भारी पड़ने लगे हैं। बस और ट्रक आपरेटरों के साथ-साथ टेंपो चालक भी बढ़े हुए डीजल रेट से सकते में हैं। घरों में बाइक द्वारा दूध की सप्लाई करने वालों ने जून महीने से दूध को महंगा करने की चेतावनी दे दी है, क्योंकि बढ़े हुए पेट्रोल रेट से वह घर में दूध पहुंचाने की सुविधा को खुद पर भारी समझने लगे हैं। मोगा-गोआ के भाड़े में 13 हजार का आया अंतर

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मोगा अलाइट ट्रक यूनियन के प्रधान कर्मजीत ¨सह बब्बी का कहना है कि बढ़े हुए डीजल रेट ट्रक आपरेटरों पर भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेस्ले के सामान को लेकर मोगा के कई ट्रक गोआ जाते हैं। गोआ में मोगा से सामान लेकर जाने का भाड़ा बीते कई महीनों से 65 हजार रुपये हैं। इस राशि में से 20 दिन पहले तक 32 हजार रुपये का डीजल खर्च आता था, जो अब बढ़कर 45 हजार रुपये पर पहुंच चुका है। एक ट्रक आपरेटर 65 हजार रुपये भाड़ा लेकर उसमें से 45 हजार रुपये डीजल पर, दस हजार रुपये टोल प्लाजा पर खर्च रहा है। 55 हजार रुपये खर्च करने के बाद आपरेटर को जो दस हजार रुपये की बचत होती है उसमें से करीब छह हजार रुपये ड्राइवर के और दो हजार रुपये के करीब खाने पर खर्च आता है। मोगा से गोआ आने-जाने में ट्रक आपरेटर महज दो हजार रुपये कमा रहा है, इसमें से ट्रक की मरम्मत, टायर खर्च और अन्य खर्च अलग से शामिल हैं। ट्रक यूनियन प्रधान का कहना है कि यदि किसी ट्रक को इस समय काम न मिले और वह यूनियन में खड़ा रहे तो आपरेटर को नुकसान कम है, लेकिन ट्रक चलाने पर उसे नुकसान झेलना पड़ रहा है। ट्रक आपरेटर यदि कंपनियों को भाड़ा बढ़ाने की बात करते हैं तो कंपनियां पहले से चले आ रहे भाड़े को कम करने की बात कहकर ट्रक आपरेटरों को चुप करा देती हैं। 20 फीसद वेतन पेट्रोल पर हो रहा खर्च : सतनाम सिंह

प्राइवेट कंपनी में 15 हजार रुपये की नौकरी करने वाले सतनाम ¨सह का कहना है कि पेट्रोल के बढ़े दाम के बाद स्कूटर पेट्रोल से नहीं बल्कि खून से चल रहा प्रतीत होने लगा है। उन्होंने कहा कि उनकी मजबूरी है कि उन्हें पास के गांव से अपने स्कूटर द्वारा मोगा के बस अड्डे पर आना होता है और उसके बाद बस से कोटकपूरा। गांव से मोगा बस अड्डा करीब 16 किलोमीटर हैं और आने जाने में ही एक लीटर पेट्रोल खर्च हो जाता है। अपने काम पर जाने के लिए उसे अब हरेक महीने करीब तीन हजार रुपये का खर्च करना होगा जो उसके कुल वेतन का 20 फीसद होगा। टैक्सी रेट में हुआ इजाफा

टैक्सी का काम करने वाले मनोहर सूद का कहना है कि अभी तक टैक्सी का किराया वह मोगा से लुधियाना तक 25 सौ रुपये ले रहे थे। चूंकि हर किसी को एसी की सुविधा चाहिए, इसलिए बड़े हुए डीजल रेट के बाद उन्होंने अपने किराए में दो सौ रुपये चक्कर का इजाफा कर दिया है। इसी तरह से अन्य टैक्सी चालकों ने भी रेट में इजाफा अपने हिसाब से किया है। सेल पर नहीं कोई अंतर

इंडियन ऑयल पंप के मालिक कुलदीप ¨सह औलख का कहना है कि बढ़े हुए पेट्रोल या डीजल का सेल पर अभी तक कोई असर देखने को नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग अपने निजी वाहनों में पेट्रोल या डीजल को पैसे के हिसाब से भरवाते हैं। जो व्यक्ति पेट्रोल का रेट बढ़ने से पहले 100 रुपये का पेट्रोल सप्ताह में दो बार भरवाता था, वह आज भी ऐसा ही कर रहा है। इस तरह करने से उसे अपने वाहन की माइलेज पर तो थोड़ा असर दिखता है, लेकिन बढ़े हुए पेट्रोल रेट पर नहीं। यदि लोग लीटर के हिसाब से पेट्रोल या डीजल की खरीद करें तो उन्हें अवश्य महंगाई का अहसास अधिक होगा।


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