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श्री चितपूर्णी माता मंदिर में भक्तों ने किया शीतला माता का पूजन

श्री चितपूर्णी माता मंदिर में चैत्र महीने के उपलक्ष्य में भक्तों ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 04:01 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 04:01 PM (IST)
श्री चितपूर्णी माता मंदिर में भक्तों ने किया शीतला माता का पूजन
श्री चितपूर्णी माता मंदिर में भक्तों ने किया शीतला माता का पूजन

तरलोक नरूला, मोगा

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श्री चितपूर्णी माता मंदिर में चैत्र महीने के उपलक्ष्य में भक्तों ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने अपने परिवार सहित विधिवत रूप में शीतला माता को मौली, चावल, हल्दी, मेहंदी अर्पित की और आटे के दीपक के साथ पूजन किया। कच्ची लस्सी से अभिषेक किया।

श्रद्धालुओं ने एक दिन पहले घर पर बनाई मीठी रोटी, चावल, पूरी आदि का भोग लगाया। घर में सुखशांति की प्रार्थना की। शीतला माता की कथा व आरती की। मान्यता है कि माता शीतला देवी की पूजा करने से गर्मी व गर्म मौसम के कारण होने वाली बीमारियों से राहत मिलती है। इसलिए इन्हें शीतलता की देवी कहा जाता है।

मंदिर के पुजारी कृष्ण गौड़ ने बताया कि शीतला माता को अत्यंत शीतल माना जाता है। कहा जाता है कि यह कष्ट रोग हरने वाली है। इनकी सवारी गधा है। इनके हाथ में कलश नीम के पत्ते है। शीतला माता की आराधना विशेष चैत्र मास में की जाती है। इसकी पूजा करने वाले वाले घरो में एक दिन पहले रात को मीठी रोटी, चावल, दही,राबड़ी, पूरी आदि भोजन बनाकर रख लिया जाता है। उसी बासी भोजन से अगले दिन शीतला माता को भोग लगाया जाता है। इसको बासडिया भी कहा जाता है। उसी कड़ी के तहत मंगलवार को भक्तों ने श्री चितपूर्णी माता मंदिर में शीतला माता की पूजा की। माता को दही, मीठी रोटी का पूड़ा, मीठे चावल आदि का भोग लगाया। रोली, मौली, चावल, हल्दी, मेहंदी तथा आटे का दीपक से पूजन किया। कच्ची लस्सी से अभिषेक किया। उन्होंने बताया कि कई घरो में आज भी पुरातन परंपरा के अनुसार शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाते। ताकि घर में शीतलता बनी रहे।


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