आठ साल बाद भी अधर में 92 किलोमीटर लंबे हाईवे का काम, 2012 में 372 करोड़ के बजट से किया गया था शुरू
उक्त मार्ग से गुजरने वाले लोगों को समस्या झेलनी पड़ रही है वहीं क्रासिंग की स्थाई सुविधा न होने से लोगों ने शहर के आसपास नाजायज कट बनाए हैं। मेन हाईवे पर बने ये कट लोगों के लिए हादसों का सबब बन रहे हैं।
मोगा [राज कुमार राजू]। लुधियाना से फिरोजपुर वाया मोगा होकर गुजरने वाले 92 किलोमीटर लंबे फोरलेन का काम भले ही अक्टूबर 2012 में 372 करोड़ रुपये के बजट से शुरू किया गया था। लेकिन आठ वर्ष बीतने के बावजूद सड़क को काम आज भी 70 फीसद पूरा हुआ है। ऐसे में जहां उक्त मार्ग से गुजरने वाले लोगों को समस्या झेलनी पड़ रही है, वहीं क्रासिंग की स्थाई सुविधा न होने से लोगों ने शहर के आसपास नाजायज कट बनाए हैं। मेन हाईवे पर बने ये कट लोगों के लिए हादसों का सबब बन रहे हैं।
उक्त मार्ग 92 किलोमीटर का है, यदि शहर की बात करें तो यह लुधियाना की तरफ से बुग्गीपुरा चौक से फिरोजपुर की तरफ से दुन्नेके तक 7-8 किलोमीटर से ज्यादा बन जाता है, जिस पर कई स्थानों पर अवैध कट बनाए गए हैं। इन कटों को रोकने के लिए प्रशासन, हाईवे अथारिटी व ट्रैफिक पुलिस ने कोई भूमिका नहीं निभा रही है। एक ही लेन में रहता है शहरी व हाईवे ट्रैफिक एडवोकेट विनय शर्मा ने कहा कि एक फ्लाईओवर बाघापुराना चौक से आइटीआइ तक शहर में उतरता है, तो दूसरा 250 मीटर आगे जाकर बिजली घर से पास से चढ़ता है।
इस बीच कंपनी ने शहर निवासियों के लिए दोनों तरफ सर्विस लेन ही नहीं बनाई और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को 250 मीटर हाईवे पार करना पड़ता है और जब वो सड़क पर चढ़ना चाहते हैं तो हाईवे के तेज ट्रैफिक में उनका तालमेल नहीं बैठता। हाईवे पर चालकों को भी समझ नहीं आता कि यह हाईवे है तो शहर वाले वाहनों समेत इस पर क्यों और कैसे चढ़ रहे हैं।
हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई चार नवंबर को
जिला बार एसोसिएशन की ओर से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में चल रही है, जिसकी अगली तारीख चार नवंबर है। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान रणजीत सिंह धालीवाल ने बताया कि इस रिट के चलते ही गत दिनों केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की ओर से 13 करोड़ की राशि आई थी।
यह है एनएचएआइ के नियम
बता दे कि एनएचएआइ क नियमों अनुसार हाईवे पर तब तक कट नहीं दिया जा सकता जब तक ओवरब्रिज न हो या अंडरपास बनाने हों। इसके लिए शहरों में वहीं कट दिए जा सकते हैं, जहां हाईवे चढ़ने वाले ट्रैफिक का फ्लो ज्यादा हो। शहर के अंदर तो कट नहीं हो सकते। अगर योजना में हों तो अंडरपास बनाए जाते हैं। इधर, इंजीनियरों का कहना है कि राजनीतिक दखलअंदाजी से कट बनाए जाते हैं।