वेंटीलेटर पर सिविल अस्पताल, सुविधाएं तोड़ रहीं दम
मोगा : सेहत विभाग की ओर से जिले में लोगों को स्वाइन फ्लू के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है, लेकिन जिले के सबसे बड़े सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू से निपटने के प्रबंध पूरे नहीं किए गए हैं।
राज कुमार राजू, मोगा : सेहत विभाग की ओर से जिले में लोगों को स्वाइन फ्लू के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है, लेकिन जिले के सबसे बड़े सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू से निपटने के प्रबंध पूरे नहीं किए गए हैं।
बता दें कि सिविल अस्पताल में रोजाना 7 सौ से 8 सौ मरीज उपचार करवाने के लिए पहुंचते है, वहीं वर्षों से अस्पताल में आइसीयू स्थापित करने का दावे जिले के नेताओं द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन इस अस्पताल को आज तक आईसीयू की सुविधा नहीं मिल पाई है।
बताया जा रहा है कि सिविल अस्पताल में वेंटीलेटर की सुविधा कुछ साल पहले शुरू तो की गई, लेकिन एक मात्र मशीन के सहारे एक स्पेशल कमरा बनाकर उपचार करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह अपने सेहत विभाग के सीनियर अधिकारियों से अस्पताल के लिए नई वेंटीलेटर मशीन की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो वेंटीलेटर मशीन मिल पाई है और न ही आज तक अस्पताल में आइसीयू वार्ड स्थापित हो सका है।
बता दें कि वैसे तो मोगा के सिविल अस्पताल में सड़क हादसों समेत अन्य कारणों के चलते रोजाना इमरजैसी में 10 से ज्यादा मरीज आते हैं, जिनको वेंटीलेटर की जरूरत होती है, जिन्हें बिना आइसीयू वार्ड के रखना जोखिम भरा हो सकता है। इस तरह से मरीजों की हालत को देखते हुए ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की ओर से उन्हें फरीदकोट के लिए रेफर कर दिया जाता है, लेकिन पहले ही गंभीर अवस्था में सिविल अस्पताल तक पहुंचे मरीज को अपनी जान जोखिम में डालकर फरीदकोट तक का सफर करना पड़ता है। ऐसे में हर महीने करीब दो से तीन मरीज फरीदकोट पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाते हैं । बता दे कि आइसीयू यूनिट स्थापित करने के लिए अस्पताल में स्पेशल डॉक्टर और अन्य स्टाफ की जरूरत होगी, जो इस समय अस्पताल के पास नहीं है। इसके अलावा आइसीयू यूनिट को चलाने से पहले अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करना भी जरूरी होगा, जिससे अस्पताल में वेंटीलेटर मशीन को मरम्मत नहीं करवाया जा सकता, उस अस्पताल में आईसीयू की सुविधा को बरकरार रखना किसी चैलेंज से कम नहीं होगा।
अधिकारियों को बता चुके हैं समस्या : एसएमओ
एसएमओ डॉक्टर राजेश अत्री ने कहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर पंजाब सरकार की हिदायतों के अनुसार एक स्पेशल कमरा बनाने, दवाईयां, पैरा मेडिकल स्टाफ का टीकाकरण करने समेत अन्य सभी प्रबंधों को पूरा कर लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि वैटीलेंटर के बारे में उनके द्वारा करीब एक महीना पहले ही विभाग के उच्चाधिकारियों को चेताया जा चुका है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना, कफ, कोल्ड और लगातार खांसी मांसपेशियों में दर्द या अकड़न. सिर में दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान, दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा, गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना आदि है।
ऐसे करें बचाव
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है। टैमी फ्लू नामक दवां सिविल अस्पताल के डॉक्टर की देखरेख में ही दी जाती है। पिछले साह एक व्यक्ति की हुई थी मौत
गौर रहे कि वर्ष 2017 के सितंबर महीने में मोगा के बेदी नगर में एक व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में हालत बिगड़ गई थी, जिसे निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां से उक्त व्यक्ति को लुधियाना रेफर कर दिया गया था,लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। वही सेहत विभाग ने उक्त मरीज के छाती रोग से पीड़ित होने की बात कही गई थी। फिर भी सेहत विभाग को मृतक व्यक्ति के स्वाइन फ्लू के संदिग्ध होने की आशंका तहत बचाव करने के लिए मृतक के घर पहुंच कर परिवार के पांच लोगों के साथ साथ उसके साथ गए पांच लोगों को स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए दवां दी थी। विभाग ने 5 लोगों के सैंपल लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट नैगेटिव आई थी।