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सबसे बड़ा न्यायालय सर्वव्यापक अदृश्य ईश्वर का है : सुनील शास्त्री

मोगा देवीदास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदनी हाल में आध्यात्मिक सत्संग किया गया। इस अवसर पर सुनील शास्त्री ने कहा कि सबसे बड़ा न्यायालय सर्वव्यापक अदृश्य सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान पूर्ण न्यायकारी ईश्वर का है। वहां से कोई नहीं बच पाएगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 10:44 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 10:44 PM (IST)
सबसे बड़ा न्यायालय सर्वव्यापक अदृश्य ईश्वर का है : सुनील शास्त्री

संवाद सहयोगी, मोगा

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देवीदास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदनी हाल में आध्यात्मिक सत्संग किया गया। इस अवसर पर सुनील शास्त्री ने कहा कि सबसे बड़ा न्यायालय सर्वव्यापक अदृश्य, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान पूर्ण न्यायकारी ईश्वर का है। वहां से कोई नहीं बच पाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत के लोग समझते हैं कि जो हमारे देश में सर्वोच्च न्यायालय है, वही सबसे बड़ा और अंतिम न्यायालय है। ऐसे ही सब देशों के लोग भी अपने-अपने देश के सर्वोच्च न्यायालय को सबसे बड़ा या अंतिम न्यायालय मानते हैं। सभी यह सोचते हैं कि यदि हम अपने देश के लोअर कोर्ट, हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के दंड से बच गए, तो हमारा अपराध खत्म हो गया। अब उसका दंड और कोई नहीं देगा। मगर, ऐसा मानना लोगों की भूल है। संसार में एक ऐसा विचित्र सर्व सर्वोच्च न्यायालय भी है, जिसके बारे में लोग शाब्दिक रूप से तो जानते हैं परंतु व्यवहारिक रूप से वे उसे नहीं समझते। वह न्यायालय सर्वत्र विद्यमान है। उसका न्यायाधीश भी सब जगह उपस्थित है। वह सर्व सर्वोच्च न्यायाधीश ईश्वर है। जो सदा सबके कर्मो को स्वयं देखता है। सबके कर्मो का स्वयं साक्षी है। वह स्वयं ही वकील है। स्वयं ही न्यायाधीश है। उसे अन्य किसी साक्षी या वकील आदि की सहायता नहीं लेनी पड़ती। और न ही वह किसी साक्षी या वकील की बात सुनता है। उसका ज्ञान भी संपूर्ण है। उसमें कहीं कोई गलती भ्रांति या संशय भी नहीं होता है।

इसलिए उसके न्याय में कभी कोई कमी भी नहीं होती तथा न कोई गलती। ऐसे सर्वव्यापक, अदृश्य, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, पूर्ण न्यायकारी ईश्वर को सबसे बड़ा न्यायाधीश स्वीकार करें। सदा अच्छे काम करें। बुरे कामों से बचें। यही ईश्वर का संविधान है। जो लोग इस संविधान को अधिक विस्तार से जानना चाहें, वे वेदों तथा ऋषियों के ग्रंथों का अध्ययन करें।


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