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उत्पीड़न से परेशान होकर निजी बैंक के मैनेजर ने लगाई नहर में छलांग

। पनसप के सीनियर असिस्टेंट रंजीत सिंह सहोता व पुलिस के एएसआइ की धमकियों से परेशान होकर एक निजी बैंक के मैनेजर ने बुधवार की दोपहर फिरोजपुर जिले में स्थित कस्बा मक्खू के निकट बंगाली पुल से नहर में छलांग लगा दी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 10:44 PM (IST)
उत्पीड़न से परेशान होकर निजी बैंक के 
मैनेजर ने लगाई नहर में छलांग
उत्पीड़न से परेशान होकर निजी बैंक के मैनेजर ने लगाई नहर में छलांग

संवाद सहयोगी,मोगा

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पनसप के सीनियर असिस्टेंट रंजीत सिंह सहोता व पुलिस के एएसआइ की धमकियों से परेशान होकर एक निजी बैंक के मैनेजर ने बुधवार की दोपहर फिरोजपुर जिले में स्थित कस्बा मक्खू के निकट बंगाली पुल से नहर में छलांग लगा दी। नहर में छलांग लगाने से पहले बैंक मैनेजर ने एक सुसाइड नोट हाथ से लिखकर अपने बैग में रख दिया था। पुलिस देर शाम तक नहर में बैंक मैनेजर की तलाश करती रही लेकिन सुराग नहीं लग सका था।

बैंक मैनेजर व उसके कार बाजार संचालक उसके भाई के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज था। कार खरीदार के साथ थाना सिटी-1 के जांच अधिकारी एएसआइ दलजीत सिंह ने दबाव बनाकर समझौता करा दिया था। पैसों का लेन-देन भी करा दिया था, उसके बाद भी दोनों बैंक मैनेजर को धमकाते रहे। एक महीने बाद 12 नवंबर को बैंक मैनेजर की शादी होने वाली थी, केस दर्ज होने के कारण वह भूमिगत था, जमानत याचिका अदालत से रद हो चुकी थी,जिससे उसे अपना वैवाहिक जीवन भी संकट में पड़ता दिखने लगा था, इससे निराश होकर उसने ये कदम उठाया। ये लिखा है सुसाइड नोट में

मैं लखबीर सिंह निवासी मोगा का रहने वाला हूं, मेरी खुदकुशी का कारण रंजीत सिंह सहोता निवासी दम्मन सिंह नगर मोगा है। उसने मेरे व मेरे बड़े भाई पर धोखाधड़ी का झूठा केस दर्ज कराया गया है। मैं बैंक मुलाजिम हूं, मेरे व मेरे भाई पर इससे पहले कोई भी आपराधिक केस नहीं है। रंजीत सिंह (पनसप का डिप्टी मैनेजर) ने मोगा पुलिस की मदद से उस पर व उसके भाई पर झूठा केस दर्ज कराया है। उसने कोर्ट में अर्जी लगवाई थी लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई, उसके बाद रंजीत सिंह ने पुलिस के ईओ विग के इंचार्ज दलजीत सिंह से मिलकर उस पर दबाव बनाने का प्रयास किया। उसका विवाह तय हो चुका था, लेकिन दोनों लोगों ने उसकी जमानत रद करा दी, उसे और भी मानसिक रूप से परेशान किया। मजबूरी में मैंने व मेरे भाई ने रंजीत सिंह सहोता के साथ समझौता कर लिया था। समझौता तीन लाख तीस हजार रुपये में हुआ था। समझौते की प्रति उसके वकील अमनदीप बराड़ के पास है केबिन नं 137 में है। समझौते के बाद भी दोनों लोग उस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे,जिससे वह लगातार घर से बाहर रहने को मजबूर था। उसका कामकाज भी प्रभावित हो गया था। मेरा वैवाहिक जीवन भी खराब हो गया। पुलिस के ईओ विग के इंचार्ज दलजीत सिंह व पनसप के डिप्टी मैनेजर रंजीत सिंह सहोता व कुछ अन्य मुलाजिमों ने मिलकर उस पर झूठा केस बनाया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाय। मेरे खिलाफ दर्ज केस में मेरा कोई कसूर नहीं है। मां से माफी मांगता हूं।

-तेरा पुत्र लखबीर सिंह

यह है मामला

थाना सिटी वन में पुलिस के ईओ विग के इंचार्ज एसआइ दिलजीत सिंह की जांच के बाद पनसप के डिप्टी मैनेजर रंजीत सिंह पुत्र दर्शन सिंह निवासी दम्मन सिंह गिल नगर की शिकायत पर 24 अगस्त को रायल कार व‌र्ल्ड संचालक मनप्रीत सिंह उर्फ मोनू निवासी गिल नगर,उसके छोटे भाई एयू बैंक के मैनेजर लखबीर सिंह निवासी गिल नगर,सारज सिंह निवासी दौलेवाला व तेजिदर सिंह निवासी बड़ा गांव जालंधर के खिलाफ धारा 420, 406,120 की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन लोगों पर आरोप था कि कार बाजार संचालक ने रंजीत सिंह को स्कार्पियो बेची थी, ये कार एक पुलिस केस में केस प्रापर्टी थी, इस तथ्य को छुपाकर उसे कार धोखे से बेच दी गई। कार पर केस होने की बात उसे तब पता चली जब पुलिस कार की रिकवरी करने पहुंची।

पनसप के डिप्टी मैनेजर रंजीत सिंह का कहना था कि उसका आइ-20 कार पर एयू बैंक का लोन चल रहा था। इस लोन को मैनेजर लखबीर सिंह डील कर रहे थे। लखबीर सिंह के कहने पर उन्होंने उसके कार बाजार संचालक उसके भाई मनप्रीत सिंह के माध्यम से स्कार्पियो खरीदी थी। उस गाड़ी पर पहले से पुलिस केस था, ये तथ्य उसे छुपाया गया था, इस गाड़ी से हुए हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हादसे के बाद गाड़ी छुपा दी थी, बाद में उसे बेच दी। इसी आधार पर उसने केस दर्ज कराया था। एएसआइ पर दबाव बनाकर समझौता करवाने का आरोप

बैंक मैनेजर के करीबी रिश्तेदार ने बताया कि एएसआइ दलजीत सिंह ने दबाव डालकर रंजीत सिंह सहोता के साथ 3.30 लाख रुपये में समझौता करा दिया था, जबकि 1.50 लाख रुपये लखबीर सिंह को बैंक का बकाया चुकाना था। लखबीर सिंह ने समझौते के अनुसार 1.65 हजार रुपये रंजीत सिंह सहोता को दे दिया था, जबकि शेष राशि केस खत्म होने के बाद दी जानी थी। समझौता होने के बाद भी दलजीत सिंह व रंजीत सिंह उसे परेशान कर रहे थे, उस पर और पैसे देने को दबाव बना रहे थे, जिस कारण उसे घर से बाहर रहना पड़ रहा था। जमानत रद्द होने के कारण उसे शादी भी टूटती नजर आ रही थी।


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