लेबर के घर जाने के कारण शुरू होने से पहले ही एग्रो इंडस्ट्रीज की बढ़ी दिक्कतें
एग्रो इंडस्ट्रीज का काम अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, मोगा : एग्रो इंडस्ट्रीज का काम अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ। इस बीच बड़ी संख्या में लेबर के घर जाने के कारण इंडस्ट्रीज को बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि माइक्रो यूनिट में शामिल एग्रो इंडस्ट्रीज की लिमिट एक करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ करने के बाद इसे सरवाइव करने में मदद मिलेगी, लेकिन इंडस्ट्रीज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब इसे शुरू करने की मंजूरी मिली तो लेबर दूसरे राज्यों में स्थित अपने गांव जाना शुरू हो गई। इसके चलते जिले में साढ़े छह हजार लेबर की ओर से घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। इनमें करीब 800 लोग तो उद्योगों से जुड़े हुए हैं।
दूसरी ओर, पुलिस व प्रशासन के आपसी तालमेल में कमी के कारण भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हाईवे पर माल वाहन वाहनों को केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार नहीं रोका जा सकता, लेकिन यह रोके जा रहे हैं। इस कारण एग्रो इंडस्ट्रीज तो प्रभावित हो ही रही है, शहर में जिन सड़कों के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है, उनका काम भी फिर से लटक गया है। उधर, शहर में नियमों के खिलाफ दौड़ रहे चार पहिया वाहनों पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। सिर्फ दो पहिया वाहनों के चालान किए जा रहे हैं।
माल वाहनों को न रोकने की केंद्रीय हिदायत, फिर भी रोका जा रहा
उद्योग या अन्य कारोबार से जुड़े सामान को लाने-ले जाने वाले वाहनों को हाईवे पर चलने की अनुमति केन्द्र सरकार पहले ही दे चुकी है। इस संबंध में राज्यों को भी स्पष्ट निर्देश देने के साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाईवे पर माल वाहनों को देश के किसी भी हिस्से में रोके जाने पर सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 भी जारी कर दिया है।
राजस्थान के विदिशा शहर में वहां के जिला कलेक्टर माल ले जाते ट्रक को रोकने पर पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई भी कर चुके हैं। मोगा से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि यहां पर माल को एक से दूसरे जिले में भेजने पर अभी भी समस्या आ रही है, रास्ते में वाहनों को रोका जा रहा है।
मजूदरों के बिना कैसे कर पाएंगे काम
मोगा एग्रो इंडस्ट्रीज एसोसिएसन के अध्यक्ष जेपीएस खन्ना का कहना है कि इस समय लेबर का जाना इंडस्ट्रीज के लिए सबसे बड़ा संकट है। लगभग साढ़े छह हजार के लगभग लेबर ने अपने प्रदेशों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है, जिसमें से कम से कम 700-800 की संख्या में एग्रो इंडस्ट्रीज से जुड़ी लेबर है। इसके बिना फैक्ट्री में काम शुरू कर पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
कर्फ्यू से 100 करोड़ का उत्पाद हो गया था डंप
50 दिन के बाद काम शुरू होने की उम्मीद में उद्यमियों ने फैक्ट्रियों में सफाई कराई। कुछ यूनिट में काम शुरू हुआ है वह भी पहले से मौजूद रॉ मैटीरियल के माध्यम से। मोगा एग्रो इंडस्ट्रीज के लिए सबसे ज्यादा रॉ मैटीरियल बस्ती गोविदगढ़ व लुधियाना से आता है। जबकि यहां से बने सामान की सप्लाई बिहार, यूपी, झारखंड, उत्तराखंड में होती है। इस बार लॉकडाउन के बाद 100 करोड़ के तैयार उत्पाद मोगा में ही डंप हो गया था, हालांकि अब सप्लाई चेन शुरू हो गई है, लेकिन हाईवे पर वाहनों के आने-जाने पर समस्या आ रही है।