जानलेवा हमले के आरोपित को रेफर किया या साजिश के तहत भगाया?
मकान खाली कराने को लेकर किरायेदार पर जानलेवा हमले का आरोपित मथुरादास सिविल अस्पताल से रेफर किया गया या फिर साजिश के तहत फरार करवाया गया?
सत्येन ओझा.मोगा
मकान खाली कराने को लेकर किरायेदार पर जानलेवा हमले का आरोपित मथुरादास सिविल अस्पताल से रेफर किया गया या फिर साजिश के तहत फरार करवाया गया? पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। अब अस्पताल से रेफर की स्लिप लेकर गायब हुए आरोपित को पुलिस फरार बता रही है। हमले के एक भी आरोपित को पुलिस 30 घंटे बाद भी गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
क्या है मामला
दर्ज एफआइआर के मुताबिक मकान मालिक जसविदर सिंह भिडरखुर्द निवासी गगनदीप सिंह उर्फ गगना के साथ शनिवार दोपहर करीब 12 बजकर 35 मिनट पर वरना कार पीबी13-08 5500, एक सफेद रंग की स्विफ्ट कार व चार-पांच मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए लोग सुरिदर पाल सिंह के घर में दीवार फांदकर घुसे और घर में तोड़फोड़ शुरू कर दी। एक युवक हमले के दौरान लगातार रिवाल्वर हवा में लहराता रहा। उसी ने सुरिदर सिंह पर फायर कर दिया। गोली सुरिदर के जांघ पर लगी। पुलिस ने इस मामले में जसविदर सिंह पुत्र गुरदयाल निवासी सुभाष नगर दत्त रोड, गगनदीप सिंह उर्फ गगना निवासी भिडरकलां सहित 10-12 अज्ञात लोगों के खिलाफ घर में घुसकर जानलेवा हमला करने व तोड़फोड़ करने आदि के मामले में केस दर्ज कर लिया है।
इसलिए है पुलिस की कार्रवाई पर शक
शनिवार को जिस समय हमला हुआ जिले में वीकेंड लाकडाउन लगा हुआ था। धारा-144 लागू थी, हमले के बाद घायल को दोपहर एक बजे से पहले मथुरादास सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया था। दोपहर डेढ़ बजे तक घायल का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया था जिसमें घायल सीधे तौर पर मीडिया से बात करते हुए आरोप लगा रहा था कि उस पर हमला धर्मकोट के कांग्रेस विधायक सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ ने करवाया है। मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद पुलिस शाम को सात बजे तक थाने में बैठकर सिविल अस्पताल में रुक्का आने का इंतजार क्यों करती रही। कोविड नियमों के उल्लंघन का मामले में तो पुलिस उसी समय कार्रवाई कर सकती थी, जबकि पुलिस ने दर्ज एफआइआर में कोविड नियमों के उल्लंघन का जिक्र ही नहीं किया। सत्ता के दबाव में ये साजिश नहीं तो क्या
जानलेवा हमले का आरोपित मथुरादास सिविल अस्पताल में घायल सुरिदर पाल सिंह के भर्ती होने के बाद 15 मिनट बाद ही दाखिल हो गया था। अस्पताल स्टाफ को उसके हाथ का घाव देखते ही आशंका हो गई थी गोली करीब से मारी है। हाथ में छर्रे लगे थे, जान को खतरा नहीं था। उसके बावजूद जैसे ही दोपहर करीब ढाई बजे सीसीटीवी फुटेज इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई तो 2.40 मिनट पर अस्पताल की ड्यूटी पर तैनात डा.कांजल ने गगनदीप की डीएमसी में रेफर की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए। जिससे उसकी असलियत सामने आने के बाद उसे फरार होने का मौका मिल गया। अस्पताल से पुलिस को रुक्का शाम को 6.40 के बाद भेजा गया। उस समय तक बाकी हमलावरों को भी गगनदीप को गायब तक सुरक्षित रूप से फरार होने का मौका मिल गया। उस समय तक पुलिस थाने में ही हाथ पर हाथ धरे बैठे अस्पताल के रुक्के का इंतजार करती रही। डीएसपी सिटी से सीधी बात
सवाल: जानलेवा हमले का आरोपित गगना अस्पताल से साजिश के तहत रेफर किया गया या भगाया गया। क्योंकि वह न तो गंभीर था न ही उसकी जान को खतरा था ?
जबाव: गगनदीप ने खुद रेफर होने का कहा था इसलिए उसे डीएमसी रेफर किया गया।
सवाल : कहीं विधायक के दबाव में तो आरोपित को फरार होने का मौका नहीं दिया गया ?
जबाव: अगर विधायक के दबाव में कार्रवाई होती तो एफआइआर क्यों दर्ज की जाती। एसएमओ डा.सुखजीत सिंह बराड़ से सीधी बात
सवाल : संत नगर का मामला हाईप्रोफाइल था जिसमें धर्मकोट के विधायक पर हमले का आरोप लगा था, ऐसे मामले में रुक्का भेजने में छह घंटे का समय कैसे लग गया ?
जबाव:ये तो डाक्टर बताएगा जो ड्यूटी पर था।
सवाल:अस्पताल के आप प्रमुख हैं, मामला हाईप्रोफाइल था, एमएलए से जुड़ा था, आपको पता ही नहीं था ?
जबाव: मैं छु्ट्टी पर हूं, कल दफ्तर आ जाएं तो डाक्टर से आपकी बात करवा दूंगा।