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हाइप्रोफाइल ड्रामे के बीच धान आवंटन में हेराफेरी का पर्दाफाश

क्षमता से ज्यादा मिलें लेकर कर्ज में डूबे राइस मिल मालिक का परिवार गायब होने के मामले से तो पुलिस ने 72 घंटे में पर्दा हटा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 10:30 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 06:09 AM (IST)
हाइप्रोफाइल ड्रामे के बीच धान आवंटन में हेराफेरी का पर्दाफाश

सत्येन ओझा, मोगा : क्षमता से ज्यादा मिलें लेकर कर्ज में डूबे राइस मिल मालिक का परिवार गायब होने के मामले से तो पुलिस ने 72 घंटे में पर्दा हटा दिया है। इस हाइप्रोफाइल ड्रामे के बीच मिलिग के नाम पर चल रही हेराफेरी का बड़ा मामला भी सामने आया है। तरसेम लाल की जिन तीन मिलों में धान की जांच की गई है, उनमें लगभग नौ करोड़ रुपये कीमत की 1.25 लाख बोरियां कम पाई गई हैं। पता चला है कि दो-दो टन की क्षमता वाली इन मिलों को रिकॉर्ड में पांच-पांच टन दिखाकर ज्यादा धान आवंटित किया गया, जो कर्ज की बड़ी वजह बना।

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बाघापुराना की दो अन्य राइस मिलें जिन्हें तरसेम लाल मिलों के असली मालिकों के नाम पर ही चला रहे थे, वहां भी धान की लगभग 70 हजार बोरियां कम मिली थीं, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने रातों-रात कम मिले धान को पूरा कराकर हेराफेरी के इस मामले की लीपापोती कर डाली। धान आवंटन में हुई हेराफेरी में विभाग के ही एक इंस्पेक्टर की भूमिका सामने आई है, जिसकी विभागीय स्तर पर जांच की जा रही है। वर्तमान में पंजाब में मिलिग के बाद धान को स्टोर कराने के लिए जगह नहीं है। मोगा में 40 हजार ट्रक माल स्टोर होना है, जबकि पूरे जिले में इस समय स्टोर करने की क्षमता सिर्फ 20 हजार ट्रक माल स्टोर करने की है। इस बात को खुद डिस्ट्रक्ट फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग के कंट्रोलर गुरप्रीत सिंह कंग स्वीकार कर चुके हैं कि स्पेस की कमी पूरे पंजाब में ही है। स्पेस की कमी के चलते मिलों में मिलिग के बाद चावल कई स्थानों पर खुले में लगा हुआ है। बेमौसम बारिश के कारण खुले में मिलों में स्टोर चावल की डिसकलर होने के साथ ही डैमेज का प्रतिशत 5 से सात प्रतिशत तक हो सकता है, जबकि एफसीआइ मिलर्स को तीन प्रतिशत डैमेज व तीन प्रतिशत डिसकलर का ही लाभ देती है, मौसम का कहर इसी तरह बना रहा तो इस बार मिल मालिकों को बड़े घाटे का सामना करना पड़ सकता है। निहालसिंह वाला में तरसेमलाल की मिल में भी कुछ माल बिना स्टैक के खुले में पड़ा हुआ था जिसका काफी मात्रा में खराब होने की संभावना है।

राइस मिलर्स का कहना है कि बेमौसम बारिश होने के कारण व कोरोना वायरस की दहशत में इस बार राइन ब्रान की कीमत भी 1800 रुपये प्रति क्विटल से कम होकर 1300-1400 रुपये तक आ पहुंची है, जबकि पैडी फक की कीमत पहले 400 रुपये क्विटल तक मिलती थी वर्तमान में 250 रुपये प्रति क्विटल तक ही मिल पा रही है। फक का प्रयोग बॉयलर में किया जाता है, जबकि राइस ब्रान का प्रयोग तेल बनाने में होता है।

राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार सिगला का कहना है कि बेमौसम बरसात व कोरोना के कारण राइसब्रान व फक की कीमतों में आई कमी व चावल के खराब होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाने से अभी तो एक ही मिल मालिक के कर्ज में डूबने ाक मामला सामने आया है, जबकि अंदर की सच्चाई ये है कि इस बार हर मिलर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, आने वाले दिनों में और भी मामले सामने आ सकते हैं।----- गड़बड़ी हुई तो जांच की जाएगी : गुरप्रीत कंग

ज्यादा धान आवंटन किए जाने के मामले में डिस्ट्रिक्ट फूड एंड सिविल सप्लाई कंट्रोलर गुरप्रीत सिंह कंग का कहना है कि अभी तीनों मिलों की फिजीकल वेरीफिकेशन की जा रही है, आवंटन में कुछ गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच की जाएगी।


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