ट्रैफिक सप्ताह दौरान भी नहीं चल पाई शहर की कोई ट्रैफिक लाइट
विनय शौरी, राज कुमार राजू, मोगा : शहर की ट्रैफिक व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है और इसको सुधारने
विनय शौरी, राज कुमार राजू, मोगा :
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है और इसको सुधारने के लिए जरूरी संसाधनों की ओर कभी भी अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। महज चालानों का टारगेट पूरा करने वाली ट्रैफिक पुलिस ने अपने आला अधिकारियों तक कभी इस बात की मांग तक नहीं की कि शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक लाइट को स्थापित कर लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाई जाए। वहीं जिला प्रशासन ने भी ट्रैफिक सप्ताह के दौरान ट्रैफिक लाइट्स को ठीक करवाना जरूरी नहीं समझा। करीब तीन दशक पहले तक शहर के जिन पांच स्थानों पर ट्रैफिक लाइट को स्थापित किया गया था, उन्हें बंद हुए भी करीब ढाई दशक बीत चुके हैं।
शोपीस बन चुकी हैं ट्रैफिक लाइट्स
जिला ट्रैफिक प्रभारी राम ¨सह का कहना है कि शहर के शाम लाल थापर चौक, मैजिस्टिक चौक, सिटी थाना के पास स्थित चौक, कोटपूरा बाईपास चौक और बोघीपुरा चौक के पास ट्रैफिक लाइट को स्थापित किया गया था। जीटी रोड को फोर लेन बनाए जाने के काम के दौरान कोटकपूरा, सिटी थाना के पास और बोघीपुरा चौक की ट्रैफिक लाइट को पूरी तरह से हटा दिया गया। इस समय पांच में से महज दो ट्रैफिक लाइट ही बची है, जो इस समय शहर के लिए महज एक शोपीस बनकर रह गई हैं।
इन इलाकों में रहता है ट्रैफिक जाम
शहर के शाम लाल थापर चौक, मेन रोड, मैजिस्टिक रोड, आरा रोड, रामगंज मंडी और गांधी रोड पर सबसे अधिक ट्रैफिक जाम की समस्या है। हालांकि जीटी रोड पर होने वाली ट्रैफिक समस्या फोर लेन के निर्माण को लेकर है।
दो लाख रुपये में स्थापित हुई थी ट्रैफिक लाइट
आधिकारिक जानकारी के अनुसार शहर के जिन पांच हिस्सों में 30 साल पहले दो लाख रुपये खर्च किए गए थे। इस समय शहर के शाम लाल थापर चौक, मैजिस्टक रोड, बुगीपुरा चौक, कोटकपूरा बाईपास चौक, लहौरा चौक, गांधी रोड चौक और तीन नंबर चुंगी के पास यदि ट्रैफिक लाइटें स्थापित कर दी जाएं तो शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को अच्छी तरह से संभाला जा सकता है। यही नहीं इस व्यवस्था से शहर में होने वाले सड़क हादसों को भी कम किया जा सकता है। खुद जिला ट्रैफिक प्रभारी राम ¨सह इस बात को स्वीकार करते हैं।
शहर में दस हजार से अधिक चार पहिया वाहन
ट्रैफिक थाना प्रभारी राम ¨सह बताते हैं कि शहर में करीब सात हजार कारें और तीन हजार व्यवसायिक वाहन रोजाना चलते हैं। इसके अलावा शहर में करीब 25 हजार से अधिक दो पहिया वाहन है। शहर में कोई सरकारी या निजी पार्किंग न होने के कारण पार्किंग शहर की सड़कों के किनारे होती है, जिस कारण से सड़कों की चौड़ाई कम हो जाती है और ट्रैफिक प्रभावित होने लगता है।