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सांसारिक वस्तुओं को छोड़ धर्म में लगाएं जीवन: सत्य प्रकाश

गुरुदेव सत्य प्रकाश महाराज व सेवाभावी समर्थ मुनि महाराज ठाणे तीन सरदूलगढ़ जैन सभा में विराजमान हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 10:17 PM (IST)
सांसारिक वस्तुओं को छोड़ धर्म में लगाएं जीवन: सत्य प्रकाश

संवाद सहयोगी, सरदूलगढ़: सुमति मुनि महाराज उप प्रवर्तक ज्योतिषाचार्य गुरुदेव सत्य प्रकाश महाराज व सेवाभावी समर्थ मुनि महाराज ठाणे तीन सरदूलगढ़ जैन सभा में विराजमान हैं।

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सत्य प्रकाश महाराज ने कहा कि संसार ही दुखों का कारण है। हम संसार की वस्तुओं पर जल्दी आरक्षित होते हैं, लेकिन धर्म के मामले में हम आलस कर लेते हैं। हमें अपने जीवन को धर्म की ओर ले जाना चाहिए जो हमारे साथ जाएगा। संसार की कोई भी वस्तु हमारे साथ नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि राजे महाराजे भी अपने साथ कुछ नहीं लेकर गए। सभी खाली हाथ जाएंगे व खाली हाथ ही आए थे। इसलिए हम अपने जीवन में धर्म को अपनाएं, फिर ही हम इस संसार से मुक्त हो सकते हैं।

इस अवसर पर पंजाब जैन महासभा के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र जैन मुन्ना, जैन सभा के अध्यक्ष अभय कुमार जैन, उपाध्यक्ष अशोक जैन, महामंत्री वरिदर जैन, कोषाध्यक्ष सोहन लाल जैन, भूषण जैन पूर्व प्रधान, दर्शन लाल अग्रवाल, वासुदेव अग्रवाल, विजय कुमार टीटी, हार्दिक जैन, मोनिक जैन, कमल जैन, भूपेंदर जैन हनी जैन, राहुल जैन, प्रेरित जैन, महिला मंडल की अध्यक्ष सीमा जैन, मोनिका जैन, मूर्ति देवी जैन, रक्षा जैन, रेखा गोठी, रक्षा गोठी, इंदु गोठी, बिदिया जैन, सुमन जैन, प्रभात जैन आदि मौजूद थे। मोह भाव को छोड़ कर निर्मोही बनने ही मिलता है सुख: डा. राजेंद्र मुनि कपड़ा मार्केट में स्थित जैन सभा के प्रवचन हाल में जैन संत पूज्य डा. राजेंद्र मुनि ने अतिमोह को तनाव का मुख्य कारण बतलाते हुए कहा कि मानव मन वस्तुओं पर परिवार जनों पर यानि जड़ पदार्थो पर जितना अधिक असक्त रहता है, उतना उसका मन तनाव ग्रस्त बनता चला जाता है।

उन्होंने कहा कि आसक्ति ममतत्व भाव ही संसार बंधन के मुख्य कारण है। इसी मोह भाव के चलते मानव गति ऊपर नीचे चलती रहती है। शुद्ध मोक्ष तत्व को पाने के लिए निर्मोही अवस्था को पाना बहुत जरूरी है। यह मोह विविध रूपों में जीवन में बना रहता है। एक वस्तु के मोहभाव का त्याग करता है तो अन्य मोह सताने लगते हैं। मोह माया का यह क्रम जीवन के अंत समय तक बना रहता है। इसी कारण से अगले भवों में भी यह मोह भाव रह जाता है। अंत प्रभु महावीर ने प्रतिपल प्रतिक्षण मोहभाव से दूर रहने का हमें संदेश दिया है, जिससे हम कर्म बंधन से मुक्त हो सके।

सभा में सुरेंद्र मुनि द्वारा मानव जीवन सत शास्तव श्रवण व देव गुरु धर्म पर श्रद्धांवान होने के साथ साथ जीवन में धर्म को अपनाना अति दुर्लभ बतलाया। चातुर्मास पर्व इन चारों अमूल्य तत्वों को पाने का सुअवसर होता है अंत निरंतर धर्म अराधना साधना करके जीवन को सफल बनाना चाहिए। संचालक पुष्पेंद्र जैन द्वारा सामूहिक वंदना व हार्दिक अभिनंदन किया गया।


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