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गुरुद्वारा लिखनसर साहिब में बैठ कर गुरु गोबिंद सिंह जी ने दिया था गुरु की काशी का वरदान

गुरुद्वारा लिखनसर साहिब तख्त श्री दमदमा साहिब के मुख्य गेट के बिल्कुल साथ स्थित है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:04 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 10:04 PM (IST)
गुरुद्वारा लिखनसर साहिब में बैठ कर गुरु गोबिंद सिंह जी ने दिया था गुरु की काशी का वरदान
गुरुद्वारा लिखनसर साहिब में बैठ कर गुरु गोबिंद सिंह जी ने दिया था गुरु की काशी का वरदान

गुरप्रेम लहरी तलवंडी साबो

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गुरुद्वारा लिखनसर साहिब तख्त श्री दमदमा साहिब के मुख्य गेट के बिल्कुल साथ स्थित है। साल 1705 में 10वें गुरु श्री गुरु गोबिद सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब इसी जगह पर संपूर्ण किया था। यहीं पर बैठकर शहीद बाबा दीप सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की चार अतिरिक्त प्रतियां लिखी और उन्हें अन्य चार तख्तों में भेज दिया।

तख्त श्री दमदमा साहिब के मैनेजर परमजीत सिंह ने बताया कि इस स्थान पर दसवें गुरु श्री गुरु गोबिद सिंह जी ने दमदमा साहिब को गुरु की काशी का वरदान दिया था। जब श्री गुरु गोबिद सिंह जी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ लिखवा रहे थे तो लिखाई के समय जो कलम घिस जाती थी उसको संभाल कर रख लिया जाता था और लिखाई के लिए नई कलम लाई जाती थी। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ की लिखाई संपूर्ण होने के बाद पुरानी कलमों व बची हुई सियाही को लिखनसर में परवाह करके श्री गुरु गोबिद सिंह जी ने इस स्थान को गुरु की काशी का वरदान दिया। यहां पर गुरसिख गुरमुखी की पैंती लिख कर शिक्षा की प्राप्ती के लिए अरदास करते हैं। सैकड़ों लोग करते हैं शिक्षा के लिए अरदास

गुरुद्वारा श्री लिखनसर साहिब में हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालू आते हैं और गुरु घर में रखी स्लेटों व रेत पर गुरमुखी लिखते हैं। यह माना जाता है कि जो भी यहां आकर गुरमुखी लिखता है उसका पढ़ाई में मन लगना शुरू हो जाता है और लिखावट में भी निखार आ जाता है।


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