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कृषि विधेयकों के खिलाफ बादल गांव में धरने पर बैठे किसान ने निगला जहर, हालत बिगड़ी

पंजाब के बादल गांव में कृषि विधेयकों के खिलाफ धरने पर बैठे एक किसान ने जहर निगल दिया। किसान को बठिंडा में भर्ती कराया गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 12:10 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 12:29 PM (IST)
कृषि विधेयकों के खिलाफ बादल गांव में धरने पर बैठे किसान ने निगला जहर, हालत बिगड़ी
कृषि विधेयकों के खिलाफ बादल गांव में धरने पर बैठे किसान ने निगला जहर, हालत बिगड़ी

जेएनएन, मानसा। केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि विधेयकोंं के खिलाफ पंजाब में किसानों का गुस्सा फूटने लगा है। राज्य में जगह-जगह धरने दिए जा रहे हैं।  वहीं, आज सुबह बादल गांव में धरने पर बैठे मानसा के अक्कावाली गांव के किसान प्रीतम सिंह ने जहर निगल दिया। किसान को मैक्स अस्पताल बठिंडा में दाखिल करवाया गया है।

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बता दें, बादल पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव है। किसान यहां धरने पर बैठे हैं। बताया जा रहा है कि किसान प्रीतम सिंह काफ़ी दिनों से किसानों के साथ धरने पर बैठा था। उस के साथी बताते हैं कि प्रीतम सिंह रातभर सोया नहीं और वह काफी परेशान था। आज दिन चढ़ते ही प्रीतम सिंह ने जहरीली चीज खा ली।

उसे पहले बादल गांव के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसकी नाजुक हालत को देखते बठिंडा रेेफर कर दिया गया। उसेे का मैक्स अस्पताल बठिंडा में भर्ती किया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। किसान प्रीतम सिंह तीन भाई हैं और 6 एकड़ ज़मीन के साथ अपने परिवार का गुज़ारा करते हैं। 

कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में राजनीति गरमाई हुई है। हरसिमरत कौर भी इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं। अब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब ने 24 सितंबर से 26 सितंबर तक 48 घंटों के लिए राज्यभर में रोल रोकने का फैसला लिया है। देश की 250 किसान मजदूर जत्थेबंदियों पर आधारित तालमेल संघर्ष कमेटी के आह्वान पर 25 सितंबर को पंजाब बंद की कॉल भी की गई। किसानों ने कहा कि बाजार भी खोलने नहीं दिए जाएंगे।

हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्य में सियासत और गरमा गई है। हरसिमरत लंबे समय से पंजाब कांग्रेस के निशाने पर रही हैं। वीरवार को हरसिमरत कौर बादल द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि कृषि विधेयकों पर केंद्र सरकार द्वारा अकालियों के मुंह पर तमाचा मारने के बावजूद अकाली दल ने अभी तक सत्ताधारी गठजोड़ से नाता नहीं तोड़ा। एनडीए की सरकार का हिस्सा बने रहने के अकाली दल के फैसले पर सवाल करते हुए कैप्टन ने कहा कि हरसिमरत का इस्तीफा पंजाब के किसानों को मूर्ख बनाने के ढकोसले से अधिक और कुछ नहीं है।

हरसिमरत बादल के इस्तीफे से अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच दरार गहरी हुई है। ऐसा नहीं है कि दोनों पार्टियों में कभी मतभेद नहीं रहे। तीन सफल कार्यकाल चलाने के दौरान कई बार अकाली भाजपा में कई मुद्दों पर दरारें आती रहीं। यही नहीं, चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या नरेंद्र मोदी की सरकार, इस दौरान भी कई अहम मुददों पर अकाली दल सहमत नहीं रहा, लेकिन कभी भी नौबत केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की नहीं आई। यह पहला मौका है जब अकाली दल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपनी एकमात्र मंत्री को हटा लिया है। हालांकि पार्टी ने साफ किया है कि अकाली दल एनडीए का हिस्सा बना रहेगा।


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