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फसली चक्र से निकलकर शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती

अमनदीप सिंह ने कृषि को लाभदायक धंधा बनाने के लिए दो एकड़ जमीन में अमेरिका ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 04:43 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:08 AM (IST)
फसली चक्र से निकलकर शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती

नानक सिंह खुरमी, मानसा : मानसा के गांव भादड़ा निवासी नौजवान किसान अमनदीप सिंह ने कृषि को लाभदायक धंधा बनाने के लिए दो एकड़ जमीन में अमेरिका ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। उसने 12 किस्मों के तीन हजार से अधिक ड्रैगन फ्रूट के पौधों के लिए सीमेंट के 800 पोल लगाऐ हैं, जोकि अगले साल से फल देने लगेंगे।

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इस संबंध में किसान अमनदीप सिंह ने बताया कि घाटे में जा रही खेती को बचाने के लिए फसली चक्कर में से निकलकर फसली विभिन्नता अपनाना जरूरी हो गया है। गांव में विदेशी फल की खेती करने संबंधित उसने गुजरात में ड्रैगन फ्रूट की खेती देखकर उसने अपने पारिवारिक सदस्यों से विचार किया व अपने खेत में यह खेती शुरू कर दी। पहले उसने ड्रैगन खेती 100 खंबों से शुरु की थी, जिसकी संख्या अब 800 खंबों तक पहुंच चुकी है। एक पौधा 25 वर्षो तक देता है फल

अमनदीप सिंह का कहना है कि हर प्रकार की भी मिट्टी में पैदा होने वाली यह फसल एक बार लगाने पर अगले 25 साल तक लाभ देती है और इसे पानी भी कम लगाना पड़ता है। खेती को घाटे का सौदा कहने पर अमनदीप सिंह का कहा कि यदि हम खेती शौक से करते हैं तो इसमें हमें कामयाबी अवश्य मिलती है। हमें धीर-धीरे खेती में बदलाव करवा चाहिए है। किसी भी खेती को थोड़े से शुरू करके धीरे-धीरे बढ़ा सकते है। उसके विदेशी फल की खेती को गांव निवासी देखने आते हैं।

पौधा पहले साल से ही देने लगता है फल

अमनदीप ने बताया कि इस फल के मंडीकरण के लिए उन्होंने डीलरों से संपर्क किया हुआ है। वह अपनी पैकिंग खुद कर आगे दिल्ली में सप्लाई देते हैं। यह फल पहले साल ही फल देने लगता है। वह पहले फल को तोड़ देते हैं जिससे पौधे का सही विकास होता है। पौधा जितना बड़ा होगा उतना ही फल ज्यादा मिलता है। पौधे के लिए बनाए जाने वाले एक पोल के लिए 1000 से 1200 रुपए खर्चा आता है।

अन्य किसानों को भी लेनी चाहिए प्रेरणा

इस संबंध में गांव के सरपंच सुखपाल सिंह ने अमनदीप सिंह के इस कृषि धंधे की सराहना करते हुए कहा कि फसली चक्कर से बाहर निकलकर अमनदीप सिंह ने बढि़या काम किया है। आने वाले समय में इस फल की और अधिक डिमांड बढ़ेगी, जिससे उसे अधिक लाभ होने के साथ उसकी पहचान भी बढ़ेगी। अन्य किसानों को भी अमनदीप से प्रेरणा लेनी चाहिए। फसली चक्र से निकलना समय की जरूरत : किसान नेता

किसान नेता राम सिंह भैणीबाघा ने जहां इस नौजवान की मेहनत की सराहना की, वहीं पंजाब के घटिया मंडीकरण पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि यहा की मंडियों में इस तरह की फसल का मंडीकरण नहीं होता है, जिसके कारण इस तरह की फसल उगाने से किसान कतराते हैं। किसान नेता दर्शन ने कहा कि आज के समय की मुख्य जरूरत फसली चक्कर से निकलना है। अमनदीप से प्रेरणा लेकर अन्य किसानों को भी सहायक धंधे अपनाने चाहिए ताकि उनकी आर्थिकता मजबूत हो सके।


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