आर्थिक मंदहाली ने फीके किए दीवाली के रंग
संस, मानसा : राज्य में मुलाजिम आज निराशा के आलम में हैं। ऐसे में उनकी दीवाली भी फीकी रही। राज्य के
संस, मानसा : राज्य में मुलाजिम आज निराशा के आलम में हैं। ऐसे में उनकी दीवाली भी फीकी रही। राज्य के मुलाजिमों को वेतन और बकाया नहीं मिलने, बेरोजगारों को रोजगार न मिलने, किसानों को उनकी फसलों के भाव नहीं मिलने व फसलें नहीं बिकने, मजदूरों को अपेक्षित मजदूरी न मिलने और छोटे दुकानदारों को आर्थिक मंदहाली के चलते कम बिक्री के कारण इस बार उनकी दीवाली फीकी रह गई है।
दीवाली के मौके पर पंजाब सरकार के हजारों मुलाजिमों के घरों में रोशनी धीमी ही रही, क्योंकि कई वर्गों को कई महीनों से वेतन ही नहीं मिला। जिनको वेतन मिला उनके और भत्ते रुके पड़े हैं। जिन अध्यापकों के खाते में वेतन कम डाला गया है और जिनकी मालवा से बाहर की बदलियां हो गई हैं, उनके घरों में भी दीवाली फीकी रही। यहां उल्लेखनीय है कि पहले अक्सर दीवाली समय पर सभी महकमों के मुलाजिमों की जेबें वेतन से भर जाती थीं मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इस बार दीवाली नवंबर के पहले हफ्ते आने कारण मुलाजिमों का वेतन का मामला अधर में लटका हुआ है। देहाती क्षेत्र के लोगों का पहले ही महंगाई ने कचूमर निकाल दिया है। छोटे कारोबारियों का कहना है कि उनका व्यापार आर्थिक मंदी से गुजर रहा है
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के जिला प्रधान राम ¨सह भैणीबाघा ने कहा कि जब किसानों की फसल ही नहीं बिकी तो वह कैसे दीवाली मनाएंगे। डीटीएफ के जिला महासचिव अमोलक ¨सह डेलूआना का कहना है कि सरकारी मुलाजिमों की जेबों में वेतन नहीं डाला गया तो फिर कैसी दीवाली। ईटीटी अध्यापक हरदीप ¨सह सिद्धू का कहना है कि अध्यापकों की बदलियां के हुक्मों ने दीवाली वाले चाव फीके कर दिए हैं।