दृढ़ निश्चय से लक्ष्य को किया जा सकता है हासिल: साध्वी उज्वला
संवाद सहयोगी, मानसा : मनोबल के बिना तपस्या संभव नहीं है। दृढ़ निश्चय हो तो गुरु कृपा तपस्या बो
संवाद सहयोगी, मानसा :
मनोबल के बिना तपस्या संभव नहीं है। दृढ़ निश्चय हो तो गुरु कृपा तपस्या बोझ नहीं बनती। सहज होकर तपस्या करके ही प्रेरणा संत देते हैं।
उक्त विचार तेरा पंथ जैन सभा में चल रही प्रवचनों की लड़ी में धर्म सभा को संबोधित करते साध्वी उज्वला जी ने किए।
उन्होंने ने कहा कि कर्मो की निर्जरा के लिए तपस्या की जाती है। तपस्या को अनुमोदन करना भी पुण्य कर्म को उत्साहित करने वाली बात है। तपस्या से हमारे अरमान सफल होते हैं तथा तप से निर्मल गंगा के समान माना गया है। भाई राजन द्वारा अढ़ाई तप पर बोलते साध्वी नैतिक प्रभा जी ने कहा कि जब तक तपस्या न की जाए तब तक जीवन में गुलजार तथा बहार नहीं आती। गुरु की शक्ति अपरमपार नहीं आती। हमारी आत्मा पवित्र बन कर निखार जाती है। तपस्या से सभी समस्याएं मिट जाती है। मानसिक शांति के साथ साथ हमारा मनोबल भी उंचा हो जाता है, क्योंकि संकल्प शक्ति के बिना तपस्या नहीं होती। तपस्या में घमंड नहीं आना चाहिए है। एक ही लक्ष्य होना चाहिए है, आत्मा का कल्याण। सब गुरु चरणों में चढ़ा देंगे तो दिखावे से बच सकेंगे। इस अवसर पर दूर दूर से संगत पहुंची हुए थी। अंत में प्रधान सूरज जैन ने तपस्या से प्रेरणा लेने को कहा।