मेंटल हेल्थ पर बात कर आत्महत्या के मामले रोक सकते हैं आप
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जागण संवाददाता, लुधियाना : भारत ही नहीं, दुनियाभर में बसने वाली 18 प्रतिशत आबादी आत्महत्या का कारण बनने वाले मानसिक तनाव से ग्रस्त रहती है। हाल में अभिनेता सुशांत राजपूत की मौत की घटना भी इसी का उदाहरण है। क्योंकि वह किस मानसिक हालात से गुजर रहा था, इसका किसी को अंदाजा भी नहीं होगा।
फोर्टिस अस्पताल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियर साइंस विभाग के कंसल्टेंट डॉ. जगजोत सिंह के मुताबिक आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए मेंटल हेल्थ पर बात कना जरूरी है। क्योंकि लोग इसे ज्यादा गंभीर नहीं मानते। भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में मानसिक बीमारी ही आत्महत्या का कारण बनती है। इसके कारण पैदा हुआ तनाव किसी को दिखाई नहीं देता। अगर मानसिक बीमारी के लक्षण पहचान सकें तो आत्महत्या को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति भविष्य की प्लानिग को लेकर चितिंत दिख रहा हो, खुद की संपत्ति को छोड़ देने की बात करता हो, वसीयत बनाने की बात करता हो, बंदूक, गोली या अन्य हथियार की मांग करता हो तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि यह लक्षण उसके मानसिक तनाव में होने की ओर इशारा करते हैं। इन लक्षणों की अनदेखी करने पर आत्महत्या का खतरा बढ़ता है।
अकेले में चुपचाप बैठे रहना, थकावट महसूस करना, नींद की कमी महसूस करना, निराशावादी बातें करना भी आत्महत्या से पहले दिखने वाले लक्षण हैं। अगर ऐसे व्यक्ति से खुलकर बात की जाए और उसे अकेला छोड़ने की बजाय बातें करके मन का बोझ हलका किया जाए तो आत्महत्या को रोका जा सकता है।