शीर्षासन दिलाता है गंभीर बीमारियों से निजात
स्वस्थ रहने में योग काफी मददगार है और शीर्षासन को सभी आसनों का राजा कहा गया है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : स्वस्थ रहने में योग काफी मददगार है और शीर्षासन को सभी आसनों का राजा कहा गया है। क्योंकि यह क्रिया कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाती है। एवरेस्ट योग इंस्टीट्यूट के निदेशक संजीव त्यागी के अनुसार यह आसन सिर में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है, इसलिए मस्तिष्क के सभी संवेदी अंगों (सिर, आंख, कान) के लिए यह बेहद फायदेमंद है।
विधि : जमीन पर योग मेट बिछा लें और वज्रासन मुद्रा में घुटनों पर बैठ जाएं। दोनों हाथों की कुहनियों में फासला रखकर जमीन पर हाथों को आपस में मिलाएं, फिर हथेली को कटोरी के आकार में मोड़ें। धीरे से सिर को झुकाकर हथेली पर रखें। धीरे-धीरे नितंबों को उपर उठाते हुए शरीर का भार हाथों व सिर पर डालते हुए दोनों पैरों को ऊपर उठाएं व सीधे रखें। इस दौरान नीचे से ऊपर तक पूरा शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए। इस आसन में आने के बाद 15 से 20 सेकेंड तक गहरी सांस लें और कुछ देर तक इसी आसन में बने रहें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पैरों को जमीन पर वापस लाएं।
सावधानियां : आसन का अभ्यास तड़के करें। इस दौरान पेट खाली होना चाहिए, तभी यह आसन सही तरीके से हो पाएगा। कफ और सर्दी, कब्ज, हृदय रोग, सिर में चोट या गर्दन की समस्या, उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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अश्व संचालना सूर्य नमस्कार का सबसे महत्वपूर्ण आसन है। इसका अभ्यास करने से पेट के अंग उत्तेजित होते हैं, जो पेट को मजबूत बनाते हैं। इसे संतुलन आसनों में शामिल किया गया है जो मसल्स और मेटाबालिज्म को मजबूत बनाता है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीला व मजबूत करता है। डिस्क की समस्या व पाचन में सुधार करता है। यह पैरों के घुटनों और टखनों को मजबूत करता है। यह शरीर को नियंत्रण और विकसित करने में मदद करता है। यह पीठ की मांसपेशियों, पैरों और कूल्हों को स्ट्रैच करता है। कब्ज से पीड़ित लोगों के लिए यह उत्तम आसन है।
विधि : जमीन पर योग मैट बिछा लें। मैट के आगे खड़े हो जाएं। यहीं से सूर्य नमस्कार करते हुए पादहस्तासन में आ जाएं। इस स्थिति में बाएं पैर को यथासंभव पीछे ले जाएं और दाहिने घुटने को 90 के कोण तक मोड़ें। अब बाएं पैर के घुटने को जमीन पर रख सकते हैं। बाएं पैर से पीछे की ओर एड़ियों को दबाएं। हाथों को जमीन पर अच्छे से लगाकर और सीधा रखें। थोड़ा सा पीछे की ओर झुकें। सिर को थोड़ा पीछे झुकाते हुए आगे देखें। सूर्य नमस्कार के भाग के रूप में किए जाने पर मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। इसके लिए 9 वें आसन अश्व संचालन में आकर 'ओम आदित्य नम:' का उच्चारण करें। चौथे आसन के दौरान 'ओम भानवे नम:' का उच्चारण करें। वापिस इसे दाएं पैर से भी करें।
सावधानी : हाथों या कलाई में, टांग या जांघ में चोट होने, लो या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, कार्पल टनल सिड्रोम, एग्जाइटी की समस्या होने पर यह आसन बिल्कुल न करें। गर्दन में दर्द होने पर ऊपर देखने की बजाय सामने या नीचे की तरफ देखें।