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World Anti Drug Day 2022: ड्रग्स फ्री का दावा खाेखला, पंजाब में नशे से 3 माह में 100 मौतें; मरने वालों में 90 फीसद थे युवा

World Drug Day 2022 नशे के कारण राज्य में 3 माह में 100 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 90 प्रतिशत युवा थे। आप सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन नशे के खात्मे के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 08:31 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 08:31 AM (IST)
World Anti Drug Day 2022: ड्रग्स फ्री का दावा खाेखला, पंजाब में नशे से 3 माह में 100 मौतें; मरने वालों में 90 फीसद थे युवा
पंजाब सरकार तीन माह में नशे पर पर नियंत्रण नहीं कर पाई है।

गुरप्रेम लहरी, बठिंडा। पंजाब सरकार तीन माह में नशे पर पर नियंत्रण नहीं कर पाई है। चुनाव से पहले आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तीन माह में नशा खत्म करने का दावा किया था, लेकिन स्थिति जस की तस ही है। नशे के कारण राज्य में तीन माह में 100 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 90 प्रतिशत युवा थे। आप सरकार के सौ दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन नशे के खात्मे के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

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राजनीति तो बहुत हुई, लेकिन नशा नहीं हुआ खत्म 

नशे को लेकर राजनीति तो बहुत हुई। वादे भी बहुत हुए, लेकिन नशा खत्म नहीं हो पाया। वर्ष 2017 के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बठिंडा में गुटका साहिब को हाथ में पकड़ कर तख्त श्री दमदमा साहिब की ओर मुंह करके चार सप्ताह में नशा खत्म करने की शपथ ली। सरकार बनने के बाद जब वे मुख्यमंत्री बने तो कहने लगे कि उन्होंने नशा खत्म करने का नहीं, बल्कि नशे की चेन तोड़ देने का एलान किया था।

सबसे ज्यादा मौतें बठिंडा में 

नशे के कारण तीन माह में सबसे ज्यादा 16 मौतें बठिंडा जिले में हुई हैं। इनमें भी पुलिस द्वारा बहुत कम मामलों में केस दर्ज किए गए हैं। नहीं तो परिवार द्वारा 174 की ही कार्रवाई करा ली गई। असल में नशे से मरने वालों की संख्या इस आंकड़े से भी कहीं ज्यादा है। यह सिर्फ वह आंकड़ा है, जो मामले रिपोर्ट हुए हैं। प्रदेश भर में सिर्फ तीन जिले ही ऐसे हैं, जिनमें एक भी मौत नशे के कारण नहीं हुई। इनमें मानसा,पठानकोट व रूपनगर शामिल हैं।

नशे की आसान उपलब्धता बड़ा कारण

नशे की आसान उपलब्धता के कारण भी युवा नशे की ओर आकर्षित हो जाते हैं। पहले स्वाद चखने के चक्कर में इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। सरकार बनने के बाद कुछ दिन तक तस्कर भी सकते में रहे और अफसर भी, लेकिन बाद में सब कुछ पहले की तरह चल पड़ा है। माताओं के जवान बेटे नशे की भेंट चढ़ रहे हैं।

तीन माह में किस जिले में कितनी मौतें

  • बठिंडा-16
  • बरनाला-11
  • मोगा-11
  • फिरोजपुर-10
  • खन्ना- 8
  • तरनतारन-8
  • श्री मुक्तसर साहिब-7
  • लुधियाना-7
  • गुरदासपुर-4
  • अमृतसर-3
  • पटियाला-3
  • संगरूर-3
  • फरीदकोट-2
  • जालंधर-2
  • कपूरथला-2
  • नवांशहर-1
  • फाजिल्का-1
  • पठानकोट-0
  • रूपनगर-0
  • मानसा-0

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