महिलाएं बोलीं-रात के समय अब बाहर निकलना ही बंद कर दिया, लगता है इस बात का डर
गांव इस्सेवाल में सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इससे कहीं न कहीं पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर शहर के लोग सवाल उठा रहे हैं।
जेएनएन, लुधियाना। गांव इस्सेवाल में सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इससे कहीं न कहीं पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर शहर के लोग सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले ही शहर में लगातार अपराध बढ़ता जा रहा है। रोज महानगर में छीना-झपटी की वारदातें हो रही हैं। युवकों, महिलाओं और फैक्ट्री कर्मचारियों को लुटेरे निशाना बना रहे हैं। दूसरे शहरों से आने वाले यात्रियों को ऑटो गैंग हथियार के बल पर लूट रहे हैं। ऐसे में महिलाओं में अब खौफ की स्थिति पैदा हो गई है। उनका कहना है कि वे अब सूर्यास्त होते ही घर से बाहर निकलने से गुरेज करती हैं। दैनिक जागरण की पहल 'मैं सुरक्षित नहीं हूं' के तहत शहर की प्रतिष्ठित महिलाओं ने सुरक्षा पर बेबाकी से अपनी बात रखी।
अकेले पैदल चलने से डरती हूं
मैं तो अब अकेले पैदल कुछ कदम चलने पर असुरक्षित महसूस करने लगी हूं। पिछले दिनों हमारे क्लब का दुगरी फेस-वन मार्केट के एक रेस्तरां में समारोह था। कुछ मेंबर्स का घर मार्केट के ठीक सामने था। कार्यक्रम खत्म होने पर मेंबर्स जैसे ही घर की तरफ पैदल बढ़ने लगी, उनसे मोटरसाइकिल सवार ने पर्स छीन लिया।
क्यों सहमी है : स्नेनिंग, चोरी की बढ़ रही वारदातों से मैं डरी हुई हूं।
अब क्या : अब तो अकेले ज्यादा पैदल चलने से परहेज करने लगी हूं।
- सुरिंदर बांसल, प्रेसिडेंट क्रिएटिव लेडीज क्लब, निवासी, दुगरी फेस-वन
शाम सात बजे के बाद मन में डर
फिरोजपुर और पक्खोवाल रोड से आगे जाने के लिए डर बरकरार मुझे दिन के समय तो ठीक लगता है पर शाम सात बजे के बाद मन में डर की स्थिति पैदा हो जाती है। इस्सेवाल में हुई घटना के बास से कहीं न कहीं अब असुरिक्षत होने का अहसास होने लगा है। अब तो मुझे आउटर एरिया फिरोजपुर रोड, पक्खोवाल रोड से आगे और गांवों को जाती सड़क के पास जाने से जाने में डर लगता है।
क्यों सहमी हैं: शहर में लगातार क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
अब क्या : आउटर एरिया और गांव की सड़कों के पास से निकलने में डर लगता है।
- सिया कोहली, फैशन डिजाइनर, निवासी माडल टाउन
रात के समय घर से अकेले निकलना लगता है असुरक्षित
मैं पहले भी रात के समय कम ही निकलती थी पर इस घटना के बाद से मन में और ज्यादा डर बैठ गया है कि रात के समय अकेले बिल्कुल नहीं निकलना। मैं कई बार कनाल रोड लगती सड़क से जा चुकी हूं, वह सड़क तो दिन के समय भी सुनसान ही रहती है। अब तो दिन हो या रात, उस सड़क से वहां से गुजरने के बारे में सोचती भी नहीं।
क्यों सहमी हैं: शहर में होने वाली घटनाओं से मन चिंतित है।
अब क्या: रात के समय घर से अकेले निकलना बंद ही कर दिया है।
-मिनी गांधी, फैशन डिजाइनर, निवासी शिंगार सिनेमा रोड
छात्राओं जल्दी भेज रहा हूं घर
छात्राओं को जल्दी से जल्दी एक्टिविटी करवा घर भेजा जा रहा मैं शहर में अब कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं। रोज कोई न कोई वारदात सुनने को मिलती है। सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद से मन में डर सा बैठ गया है। चूंकि मेरा काफी समय कॉलेज में व्यतीत होता है तो मैं कॉलेज छात्राओं की सुरक्षा के प्रति काफी गंभीर हुई हूं। उन्हें जल्द से जल्द एक्टिविटी करवा कर घर भेजा जा रहा है।
क्यों सहमी हैं : बढ़ रही वारदातों के चलते मन में खौफ की स्थिति है।
अब क्या: कॉलेज बस ड्राइवर से भी कहा है कि सुनसान रास्ते से बस को ले जाने से परहेज रखे।
- डॉ. सरिता बहल, प्रिंसिपल देवकी देवी जैन कॉलेज, निवासी सराभा नगर ए ब्लॉक