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तीन साल पहले की शिकायत, मौत के डेढ़ साल बाद पुलिस ने थाने में बुलाया

पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल द्वारा शुरू की गई नो यूअर केस स्टेट्स स्कीम के कारण पुलिस को फाइल खोलनी पड़ी। वरना वो यूं ही पड़ी धूल चाटती रह जाती।

By Edited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 04:00 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:29 PM (IST)
तीन साल पहले की शिकायत, मौत के डेढ़ साल बाद पुलिस ने थाने में बुलाया

लुधियाना [राजन कैंथ]। पुलिस भले ही शिकायत मिलने के बाद जल्द कार्रवाई करने के दावे करती है। यहां एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें शिकायत करने वाली महिला इंसाफ का इंतजार करते दम तोड़ गई। उसकी मौत के डेढ़ साल बाद पुलिस को उसकी फाइल खोलने की याद आई। पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल द्वारा शुरू की गई नो यूअर केस स्टेट्स स्कीम के कारण पुलिस को वो फाइल खोलनी पड़ी। वरना वो यूं ही पड़ी धूल चाटती रह जाती।

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आसपास घरों के बच्चे करते थे परेशान

नूरवाला रोड निवासी शांति देवी के बेटे सुरेश कुमार ने बताया कि 2009 में उनकी मां को अधरंग का अटैक आया। 2017 में उन्हें दूसरा अटैक आ गया। डॉक्टरों ने उन्हें शांत वातावरण में रखने की सलाह दी थी, लेकिन उनके घर के आस-पास रहने वाले बच्चे जानबूझ कर उन्हें परेशान करते थे। जब वह काम पर चला जाता था तो वो उनकी माता को अकेले पाकर पीछे से गेट पर पत्थर फेंक जाते थे। मां चारपाई पर ही थीं और कुछ बोल नहीं पाती थी। बच्चों के घरवालों से भी शिकायत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

पुलिस कमिश्नर को दी थी शिकायत

इसके बाद 16 मई 2017 को उसने पुलिस कमिश्नर आरएन ढोके को लिखित में शिकायत दी। उन्होंने शिकायत थाना बस्ती जोधेवाल को मार्क कर दी। तत्कालीन एसएचओ हरपाल सिंह ने उसे एएसआइ त्रिलोचन सिंह को मार्क कर दिया। त्रिलोचन सिंह ने उसे हवलदार गुरमेल सिंह के सुपुर्द कर दिया। इसके बाद वो शिकायत फाइलों के ढेर में नीचे दब कर रह गई। उसी बीच 6 अगस्त 2018 में शांति देवी का निधन हो गया।

मौत के डेढ़ साल बाद आई याद

सुरेश ने बताया कि 17 जनवरी शुक्रवार को थाना बस्ती जोधेवाल से उसे एक फोन आया, जिसमें बात करने वाले ने उसे थाने पहुंचने के लिए कहा। वहां मौजूद पुलिस कर्मी ने उसे बताया कि उनकी शिकायत के जवाब में उसने लिख दिया है कि दोनों पक्ष में समझौता हो गया है। इस बात पर सुरेश ने भड़कते हुए कहा कि किसका कैसा समझौता हुआ है। आप लोगों ने उसकी मां के जीते जी एक बार भी शिकायत को पलट कर न देखा, अगर कोई कार्रवाई की होती, तो शायद वो न मरती। जिस पर मजबूरन पुलिस कर्मी को समझौते वाली लाइन काटनी पड़ी।

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