ट्रैफिक पुलिस के समझाने के बाद भी नो एंट्री में जबदस्ती ले गया कार, भुगतना पड़ा खामियाजा
पुलिस ने नियम का उल्लंघन करने पर कार सवार को चालान काटकर थमा दिया। कार सवार सिफारिशें लगाता रहा पर पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी।
लुधियाना, आशा मेहता। यातायात नियम लोगों की सुरक्षा के लिए ही हैं। मगर फिर भी बहुत से लोग हैं जो नियमों के पालन को लेकर गंभीर नहीं हैं। बाद में उनको जुर्माना देकर खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसा ही कुछ दिन पहले एक व्यक्ति के साथ हुआ। घुमारमंडी रोड में ट्रैफिक पुलिस की ओर से नो एंट्री के बोर्ड लगाए गए हैं। इसके बावजूद कार सवार एक व्यक्ति ने नो एंट्री का बोर्ड तो पढ़ा, लेकिन फिर अपनी गाड़ी नो एंट्री में ले जाने की कोशिश की। तभी वहां पर मौजूद ट्रैफिक मुलाजिम राज रानी ने कार सवार को समझाया कि वह नो एंट्री में न जाए, लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना और जबरदस्ती कार आगे ले गया। यह गुस्ताखी करना उस कार चालक को महंगा पड़ गया। ट्रैफिक पुलिस के मुलाजिमों ने नियम का उल्लंघन करने पर उसका चालान काटकर थमा दिया। कार सवार सिफारिशें लगाता रहा, पर उसकी एक नहीं सुनी।
पासपोर्ट ऑफिस में हड़कंप
पिछले सप्ताह पासपोर्ट कार्यालय में हड़कंप मच गया। हुआ यूं कि एक व्यक्ति पासपोर्ट बनवाने के लिए कार्यालय में पहुंचा। जब उस व्यक्ति के कागजात पासपोर्ट दफ्तर के कर्मचारियों ने देखे, तो उनके होश उड़ गए। इसकी वजह यह रही कि व्यक्ति अशोक नगर का रहने वाला था और इस इलाके को सेहत विभाग ने कंटेनमेंट जोन घोषित किया हुआ है। अब नियमों के अनुसार कंटेनमेंट जोन से कोई भी अंदर-बाहर नहीं आ-जा सकता।
इस प्रतिबंधित एरिया के व्यक्ति को ऑफिस में देखकर कर्मचारियों ने सेहत विभाग के अधिकारियों को फोन किया और पूछा कि कंटेनमेंट जोन से आखिरी कैसे कोई आ-जा सकता है। इस पर अफसरों ने कहा कि कंटेनमेंट जोन से कोई बाहर न आए, इसकी निगरानी करना पुलिस प्रशासन का काम है, उनका नहीं। फिर पासपोर्ट दफ्तर के कर्मियों ने पुलिस को इसके बारे में जानकारी दी। वे वहां पर आए और उस व्यक्ति को ले गए।
यूनिवर्सिटी बंद, विभाग अनजान
सेहत विभाग के अधिकारी जिले में आने वाले कोरोना पॉजिटिव के मामलों को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसका पता इस बात से लगता है कि जिले में पॉजिटिव मरीज आ जाते हैं, लेकिन अधिकारियों को पता तक नहीं होता। ऐसा ही कुछ हाल ही में हुआ। दरअसल, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में एक सीनियर असिस्टेंट 18 जुलाई को पॉजिटिव पाई गई।
यह बात पता चलते ही कैंपस में हड़कंप मच गया। वाइस चांसलर ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की मीटिंग बुलाई और संक्रमण रोकने को लेकर 24 जुलाई तक यूनिवर्सिटी बंद कर दी। दूसरी तरफ सेहत विभाग के अधिकारियों को 22 जुलाई तक पता ही नहीं था कि यूनिवर्सिटी में पॉजिटिव केस आया है। अधिकारियों को तब पता चला, जब पीएयू से किसी ने पॉजिटिव मरीज को लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग न होने की शिकायत की। बस फिर क्या था। सेहत विभाग की टीम हरकत में आई और कांटेक्ट ट्रेसिंग शुरू की गई।
रीडर की हो गई फजीहत
जिले के सरकारी अधिकारियों का हाल देखें। सेहत विभाग तो बेहतर सुविधा और इलाज देने के दावे करता है मगर उन पर सरकारी अफसरों को ही भरोसा नहीं हैं। ताजा मामला बताते हैं। जिले के एसडीएम का रीडर बीते दिनों कोरोना पॉजिटिव आया। उसने अस्पताल में भर्ती होने की बजाये होम आइसोलशन का चुनाव कर लिया। सरकारी नियम है कि होम आइसोलेशन लेने वाले मरीज 17 दिन तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकलेंगे। मगर रीडर को सेहत विभाग की आई रिपोर्ट पर भरोसा नहीं था।
उसने सेहत विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए होम आइसोलेशन के नियम तोड़े और डीएमसी अस्पताल में दोबारा सैंपल दे दिया। डीएमसी की रिपोर्ट में भी वह पॉजिटिव आ गया। सेहत विभाग को इसकी भनक तब लगी, जब डीएमसी प्रबंधन ने वहां पर रिपोर्ट भेजी। फिर विभाग के उच्चाधिकारियों को बताया और रीडर को दो हजार रुपये जुर्माना कर होम आइसोलेशन कैंसिल किया।
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