युवा यशपाल शर्मा के झन्नाटेदार छक्कों से विवियन रिचर्ड्स भी रह गए थे दंग, जानें कैसे की थी धुनाई
Yashpal Sharma Dies 1983 के क्रिकेट विश्वकप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे यशपाल शर्मा की प्रतिभा के कायल महान क्रिकेटर सर विवियन रिचर्ड्स भी थे। एक बार वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ घरेलू मैच में युवा यशपाल के झन्नाटेदार छक्कों से रिचर्ड्स भी दंग रह गए थे।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। Yashpal Sharma Dies : 1983 क्रिकेट विश्वकप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के अहम सदस्य यशपाल शर्मा नहीं रहे, लेकिन क्रिकेट के मैदान में उनकी शानदार बल्लेबाजी की यादें हमेशा रहेंगी। युवा यशपाल शर्मा अपनी बल्लेबाजी से दर्शकों को रोमांचित करने के साथ प्रतिद्वंद्वी टीम को भी अचंभित कर देते थे और विरोधी भी दाद दिए बिना नहीं रह पाते थे। एक बार वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में यशपाल के झन्नाटेदार छक्कों से महान क्रिकेटर सर विवियन रिचर्ड्स भी दंग रह गए थे और उनकी पीठ थपथपाई थी।
बात उन दिनों की है, 1983 मे वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम भारत के दौरे पर आई थी। अमृतसर में मेहमान वेस्ट इंडीज और नार्थ जोन टीम के बीच तीन दिवसीय मैच चल रहा था। इस मैच में वेस्टइंडीज टीम के कप्तान विवियन रिचर्ड्स थे। रिचर्ड्स अच्छे स्पिन गेंदबाज भी थे। मैच में रिचर्ड्स गेंदबाजी करने आए तो यशपाल शर्मा ने लगातार चार गेंदों पर चार धमाकेदार छक्के जड़ दिए। उनकी बल्लेबाजी से रिचर्ड्स भी एकबार सोच में पड़ गए। उन्होंने आगे बढ़कर यशपाल की पीठ थपथपाई और शुभकामनाएं दीं। उसके बाद यशपाल हमेशा से ही अपने झन्नाटेदार छक्कों के लिए मशहूर हो गए।
लुधियाना के क्रिकेट ग्राउंड में यशपाल शर्मा। (फाइल फोटो)
फ्रंटफुट पर जाकर लगाए झन्नाटेदार छक्कों से घबराते थे अच्छे-अच्छे गेंदबाज
1983 विश्व कप क्रिकेट के पहले मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए यशपाल ने भारत की जीत में सर्वाधिक 89 रन बनाए। यह पहला अवसर था जब वेस्ट इंडीज को विश्व कप क्रिकेट में हार का मुंह देखना पड़ा था। उसके बाद सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उनका फिर बल्ला चमका और उन्होंने सर्वाधिक 61 रन बनाए।
स्कूली क्रिकेट से पंजाब रणजी टीम तक यशपाल की कप्तानी में खेलने वाले सतीश मंगल पुरानी यादों को याद करते हुए कहते हैं, ‘यशपाल जब फ्रंटफुट पर जाकर झन्नाटेदार छक्के जड़ते थे, तो अच्छे-अच्छे गेंदबाज घबरा जाते थे। कालेज क्रिकेट के दौरान लुधियाना के गुरुनानक स्टेडियम में लगाए गए उनके छक्के स्टेडियम के बाहर ही गिरते थे।’
बेहतरीन एथलीट और तैराक थे यशपाल
क्रिकेट तो उनका जुनून था। बचपन से ही वह हमेशा क्रिकेट खेलते रहते थे। वह गवर्नमेंट कालेज के बेहतरीन एथलीट होने के साथ वाटर पोलो के खिलाड़ी थे। उन्हें फिटेस्ट मैन भी कहा जाता था। साथी खिलाड़ी सतीश मंगल बताते हैं, ‘हम गुरुनानक स्टेडियम में कड़ा अभ्यास करने के बाद अकसर स्टेडियम के पास ही स्थित यशपाल के घर आ जाते थे। हम चाय या ठंडा पीते रहते थे और वह लगातार स्किपिंग करते रहते थे। स्टेडियम से थक हार कर लौटने के बाद हमारी हिम्मत नहीं होती थी और वह लगातार रस्सी कूदते थे तथा जमीन पर उनका पसीना बहकर गिरता रहता था।’
लुधियाना रेलवे स्टेशन से पैदल जुलूस के साथ घर लौटा था विश्व विजेता खिलाड़ी
1983 में विश्व कप जीतने के बाद यशपाल शर्मा अपने घर पहुंचे थे। बड़ी संख्या में लोग ट्रेन पहुंचने से पहले ही स्टेशन पर जमा हो गए। स्टेशन के पास ही उनका घर था। लोग उन्हें हार मालाओं से लादकर उन्हें घर तक जुलूस की शक्ल में लेकर पहुंचे।
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