बिहार-यूपी की टूरिस्ट बसें लुधियाना पुलिस के निशाने पर
ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि इन बसों के चालक मर्जी से कहीं भी बस लगा देते हैं। इस कारण कार्रवाई की जा रही है।
लुधियाना [राजन कैंथ]। इन दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश की टूरिस्ट बसें लुधियाना पुलिस के निशाने पर हैं। जहां कहीं भी ये टूरिस्ट बस नजर आती है, पुलिस उसे जब्त कर चालान काट देती है। शहर के कई थानों के बाहर ऐसी बसें खड़ी हैं। पूछने पर ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि इन बसों के चालक मर्जी से कहीं भी बस लगा देते हैं। इस कारण कार्रवाई की जा रही है। मगर सूत्रों से पता चला है कि यह सब लुधियाना के ट्रांसपोर्टरों के इशारे पर हो रहा है। कोरोना के चलते पंजाब से उत्तर प्रदेश और बिहार को यहां से मनमाने दाम पर बसें भेजी जाती रहीं। यात्रियों से मुंह मांगा किराया वसूला गया। मजदूरों को अपने साथ हो रही ठगी का पता चला, तो वे वहां की बसों में पंजाब आने लगे। इससे लुधियाना के ट्रांसपोर्टरों का नुकसान होने लगा। बस इसी कारण यह कार्रवाई हो रही है।
ये पैसे का कमाल
ये पैसे का कमाल है जो काम अधिकारियों की सिफारिश से नहीं हो सकता, उसे सिक्कों की खनखनाहट से करवाया जा सकता है। ताजा उदाहरण बताते हैं। एकाएक कोरोना के केस बढ़ने पर डीसी वरिंदर शर्मा ने मिनी सचिवालय में पब्लिक डीलिंग बंद कर दी। इस वजह से चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोजाना काटे जा रहे चालान के भुगतान का काम ठप हो गया। आरटीओ ऑफिस में चालान का भुगतान करने के लिए आने वाले लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा। वहां एक नोटिस भी लगा दिया कि फिलहाल चालान भुगतान और जब्त वाहनों को छोड़ने का काम बंद है। शहर के एक कारोबारी के एक वर्कर का मोटरसाइकिल भी थाना बस्ती जोधेवाल में बंद था। जब आरटीआइ दफ्तर के चक्कर लगाने पर बात नहीं बनी तो फिर उन्होंने एक दलाल का सहारा लिया। दलाल ने चालान की रकम भरने के अलावा साढ़े तीन हजार रुपये अपनी फीस ली और मोटरसाइकिल रिलीज करवा लाया।
चमचागिरी में हुई फजीहत
कई बार ज्यादा चमचागिरी भी फजीहत करवा देती है। दरअसल, शहर की बड़ी होजरी इकाई के मालिक का परिवार कोरोना पॉजिटिव आ गया। उनका कर्मचारी प्रशासनिक अधिकारियों में अच्छी पैठ रखता था और उसने परिवार के सदस्यों को होम क्वारंटाइन करवा दिया। अब मालिक से बात हुई तो कर्मी को लगा कि शायद वह भी पॉजिटिव आए हैं। वह घर गया तो मालिक के नाम की चिट भी घर के बाहर लगी थी। उसने मालिक के कुशल होने की कामना करते हुए मैसेज दूसरे कर्मचारियों को भेज दिए। यूनिट में अफरा-तफरी मच गई। कर्मी यह सोचकर परेशान कि वह मालिक से कुछ दिन पहले ही मिले थे, अब उन्हें भी टेस्ट करवाना होगा। बात मालिक तक पहुंची तो पता चला कि वह तो नेगेटिव हैं। इसका मैसेज फैक्ट्री कर्मचारियों को दिया तो सबकी सांस में सांस आई। अब नंबर बनाने के चक्कर में फंसे कर्मी की नौकरी दांव पर है।
मुखबिर से मुलाजिम दुखी
पुलिस की एंटी स्मगलिंग सेल की टीम में तैनात कर्मचारी इन दिनों एक मुखबिर से बेहद परेशान हैं। अधिकारियों के सामने नंबर बनाने के चक्कर में वह रोजाना किसी न किसी कर्मचारी की चुगली कर देता है। उसकी बातों में आकर सेल के अधिकारी उस कर्मचारी की क्लास लगा देते हैं। पहले यह मुखबिर थाना डाबा के तत्कालीन एसएचओ का हितैषी था। वह हमेशा एसएचओ के साथ ही रहता था। थाना डाबा के इलाके में उसका काफी बोलबाला भी था। इस कारण इलाके के लोग भी उस मुखबिर से बेहद परेशान थे। जब एसएचओ का तबादला हो गया तो लोगों ने नए अधिकारी से उसकी चमचागिरी की शिकायत कर दी। एक बार वह नए अधिकारी के पास भी नंबर बनाने गया तो उन्होंने उसे वहां से भगा दिया। फिर उसने एंटी स्मग¨लग सेल में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए। अब इसका खमियाजा वहां की पुलिस टीम भुगत रही है।