Software Update के दौरान ट्रैफिक चालान काउंटर का एक साल का Data डिलीट Ludhiana News
कर्मचारियों का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान एक साल का डाटा डिलीट हो गया। इसे रिकवर करने का प्रयास किया जा रहा है पर कामयाबी नहीं मिल रही।
लुधियाना, [राजेश शर्मा]। अगर ट्रैफिक रूल तोड़ने पर अक्टूबर 2018 से नवंबर 2019 के दौरान आपका चालान हुआ है और आपने अभी तक इसका भुगतान नहीं किया है तो इसका खामियाजा आपको उठाना पड़ सकता है। दरअसल, रीजनल ट्रांसपोर्ट कार्यालय (आरटीए) के ट्रैफिक चालान काउंटर का एक वर्ष का डाटा डिलीट हो चुका है। ट्रैफिक चालान का रिकॉर्ड नहीं मिलने से अब चालान का भुगतान करने के लिए पहुंचने वाले आवेदक परेशान हो रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान एक साल का डाटा डिलीट हो गया। इसे रिकवर करने का प्रयास किया जा रहा है पर कामयाबी नहीं मिल रही। अब इस संकट से निपटने के लिए अस्थाई व्यवस्था के तहत जो आवेदक चालान भुगतान के लिए पहुंचते हैं, उनका चालान नंबर लेकर स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (एसटीसी) कार्यालय को भेज दिया जाता है। वहां से जिस चालान का रिकॉर्ड मिलता है, उसका जुर्माना लेकर आवेदक को दस्तावेज लौटा दिए जाते हैं, लेकिन इसके लिए आवेदक को कार्यालय के कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
रोजाना 150 से अधिक चालान का होता है भुगतान
एक अनुमान के मुताबिक रोजाना 150 से अधिक लोग चालान भुगतान के लिए आ रहे हैं। जिनके चालान गुम, उनके लिए और परेशानी आवेदकों की समस्या के अस्थाई समाधान के तहत काउंटर पर पहुंचने वाले चालान का नंबर नोट करके उसे एसटीसी कार्यालय भेज दिया जाता है। दो तीन दिन के भीतर वहां से उस चालान के वायलेशन की जुर्माना राशि बताकर फिर उसका भुगतान लेकर जब्त किया दस्तावेज वापस कर दिया जाता है, लेकिन समस्या उनके लिए है जिनसे चालान की कॉपी ही गुम हो गई। ऐसे में उनका रिकॉर्ड तब तक मिलना नामुमकिन है जब तक डाटा रिकवर नहीं हो जाता।
अब डुप्लीकेट डीएल और आरसी जारी करवाने की आंशका बढ़ी
आरटीए कार्यालय का जब तक रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं हुआ था, तब तक बड़ी संख्या में आवेदक ट्रैफिक चालान की जुर्माना राशि अधिक होने के चलते चालान भुगतान करने की बजाय जब्त किया ड्राइ¨वग लाइसेंस व आरसी इत्यादि की डुप्लीकेट कॉपी जारी करवा लेते थे। इसके लिए सिर्फ पुलिस में गुमशुदगी रिपोर्ट ही दर्ज करवानी होती थी। इसके बाद विभाग ने नियम बना दिया कि डुप्लीकेट दस्तावेज जारी करवाने के आवेदन का पहले रिकॉर्ड चेक होगा। अगर उसका चालान पेंडिंग है तो उसे दस्तावेज जारी नहीं किया जाएगा, लेकिन एक वर्ष का डाटा डिलीट होने पर इस समय के दौरान जिनका चालान हुआ है, वे डुप्लीकेट दस्तावेज जारी करवा सकते हैं। हालांकि सेक्रेटरी आरटीए दमनजीत सिंह मान ने दावा किया है कि विभाग के पास इसे चेक करने के और भी तरीके हैं। बिना चे¨कग के दस्तावेज जारी नहीं किए जाएंगे।
अक्टूबर 2018 में ऑनलाइन हुआ था रिकॉर्ड
पहले आरटीए कार्यालय का डाटा मैनुअली ऑपरेट करके इसे स्थानीय स्तर पर ही रखा जाता था। अक्टूबर 2018 से इसे ऑनलाइन किया गया। नवंबर 2019 में सॉफ्टवेयर अपडेट करने के दौरान ही ट्रैफिक चालान काउंटर का डाटा डिलीट हो गया। इसके चलते अक्टूबर 2018 से पहले व नवंबर 2019 का रिकॉर्ड तो आरटीए कार्यालय में है पर एक वर्ष का डाटा अभी नदारद ही है।
हेलमेट का चालान हुआ था, रिकॉर्ड मिल नहीं रहा
आरटीए कार्यालय आए आवेदक भीम सिंह ने कहा कि उनका हेलमेट का चालान हुआ था। जब भुगतान के लिए पहुंचे तो जवाब मिला कि डाटा डिलीट हो गया है। आप चालान नंबर लिखवा जाओ, प्रयास करेंगे, अगर ढूंढ पाए तो उसका भुगतान हो जाएगा। तीन माह बाद बुलाया तो बोले, डाटा उड़ गया आवेदक रा¨जदर ¨सह ने कहा कि ओवरस्पीड का चालान हुआ था। भुगतान के लिए बरनाला से आना पड़ता है। पहले आया तो जवाब मिला कि तीन महीने बाद आना। सोमवार को आया तो कहा गया कि डाटा उड़ गया है। कब रिकवर होगा, इसका जवाब उनके पास नहीं था। पता नहीं अब कब भुगतान होगा ओवरस्पीड के हुए चालान का भुगतान करने आए आवेदक भारतभूषण ने बताया कि आरटीए कार्यालय में आया तो बताया गया कि कंप्यूटर में रिकॉर्ड ही नहीं है। कब भुगतान हो पाएगा, यह पूछा तो कर्मियों से कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला। कुछ दिन बाद फिर से चक्कर लगाउंगा।
डाटा रिकवर करने में एसटीसी ऑफिस से सहयोग ले रहे: सचिव
रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के सेक्रेटरी दमनजीत सिंह मान ने बताया कि सॉफ्टवेयर से डाटा डिलीट हो गया है। इसमें पूरे पंजाब के चालान हैं। उसमें लुधियाना का डाटा अलग से निकालने में दिक्कत आ रही है, इसलिए जो भी आवेदक चालान भुगतान के लिए आ रहे हैं, उनका चालान नंबर नोट कर लिया जाता है। स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर कार्यालय से इसका रिकॉर्ड निकलवाने के बाद आवेदक को उसके दस्तावेज देने का क्रम जारी है। हर रोज लगभग सौ के करीब ऐसे चालान का भुगतान किया भी जा रहा है।