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भूजल को बचाने के लिए पूसा 44 के अंतर्गत रकबा घटाने की जरूरत : डा. सिद्धू

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में वीरवार को निर्देशक प्रसार शिक्षा व खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग की ओर से संयुक्त रूप से खोज व प्रसार माहिरों की वर्कशाप का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:12 PM (IST)
भूजल को बचाने के लिए पूसा 44 के अंतर्गत रकबा घटाने की जरूरत : डा. सिद्धू

जागरण संवाददाता, लुधियाना

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पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में वीरवार को निर्देशक प्रसार शिक्षा व खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग की ओर से संयुक्त रूप से खोज व प्रसार माहिरों की वर्कशाप का आयोजन किया गया। वर्कशाप के दौरान कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया गया। इस वर्कशाप में खेतीबाड़ी विभाग के उप निर्देशक, मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी, खेती विकास अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्रों और किसान सलाह सेवा केंद्रों के माहिरों के अलावा पीएयू के डीन, डायरेक्टर व सहित 140 वैज्ञानिक शामिल हुए। वर्कशाप की शुरूआत पीएयू के वीसी डा. बलदेव सिंह ढिल्लों ने की। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी व खेतीबाड़ी विभाग पंजाब के संयुक्त प्रयासों के कारण ही बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी पंजाब ने खेती के क्षेत्र में सराहनीय विकास किया है। उन्होंने कहा कि भोजन व पोषण के क्षेत्र में पीएयू के स्किल डेवलपमेंट सेंटर व फूड इंडस्ट्रर बिजनेस इंकुबेशन सेंटर ने बेहतर कार्य किया है। वहीं खेतीबाड़ी विभाग के निर्देशक डा. सुखदेव सिद्धू ने धरती के नीचे पानी के गिरते स्तर पर चिता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पूसा 44 के अंतर्गत रकबा घटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कम पानी की खपत करने वाली धान की बिजाई समय की जरूरत है। इस मौके पर पीएयू के निर्देशक खोज डा. नवतेज बैंस ने नई किस्मों कोलेकर जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि बासमती की नई किस्म पंजाब बासमती सात, गन्ने की नई किस्म सीओपीबी 95, सीआपीबी 96, सीओ 15023 और सीओपीबी 98 को राज्य किस्म प्रवाणगी कमेटी के समक्ष रखा जाएगा। इसके अलावा मक्की की किस्म पीएमएच 13 और मूंगी की किस्म एमएल 1808 को भी कमेटी के समक्ष रखा जाएगा। इस दौरान अपर निर्देशक संचार डा. तेजिदर सिंह रियाड़ भी मौजूद रहे।


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