जब किसान मेले के उद्घाटन में बुरे फंसे सीएम मान...पढ़ें लुधियाना की और भी रोचक खबरें
सीएम भगवंत मान को जल्दी जाना था लेकिन जैसे ही सीएम भाषण समाप्त कर जाने लगे आयोजकों ने उन्हें मंच पर ही रोक लिया। आयोजकों का कहना था कि मंच पर उपस्थित विधायकों को सम्मानित किया जाना है।
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना। कई बार बड़े राजनीतिक नेता भी समय के फेर में फंस जाते हैं। कुछ ऐसा ही बीते दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ हुआ। मुख्यमंत्री पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में आयोजित किसान मेले का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे। उनका हेलीकाप्टर यूनिवर्सिटी के ही ग्राउंड में उतरा, ताकि कार्यक्रम समाप्त होते ही वह चंडीगढ़ के लिए रवाना हो सकें। मुख्यमंत्री की वहां भी कुछ जरूरी बैठकें थीं।
हालांकि यहां कुछ देर हो गई। सीएम को जल्दी जाना था, लेकिन जैसे ही सीएम भाषण समाप्त कर जाने लगे, आयोजकों ने उन्हें मंच पर ही रोक लिया। आयोजकों का कहना था कि मंच पर उपस्थित विधायकों को सम्मानित किया जाना है। अब सीएम ने कहा, जल्दी करें। हालांकि मंच पर सात विधायक मौजूद थे और सीएम को पता था कि इसमें समय लगना है। इसके बाद सीएम ने उन्हें शाल ओढ़ाने की रस्म ऐसे पूरी की।
आखिर वह शख्स कौन था?
मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर पीएयू ग्राउंड स्थित हेलीपैड में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। किसी को पास फटकने तक की इजाजत नहीं थी। मुख्यमंत्री को रिसीव करने के लिए विधायक सहित चंद लोग ही हेलीपैड पर पहुंचे। उन्होंने गुलदस्ता देकर सीएम का स्वागत किया। हालांकि इस दौरान उस टीम में शामिल एक शख्स खासा चर्चा में रहा। यह वही शख्स था, जिसके खिलाफ घोटाले का आरोप है।
खास बात यह है कि किसान मेले के आयोजकों ने उसे आमंत्रित ही नहीं किया था, लेकिन वह किसी विधायक के साथ हेलीपैड पर पहुंच गया। सीएम के स्वागत के बाद ही वह हेलीपैड से ही वापस निकल गया और समारोह के मंच या उसके आसपास नजर नहीं आया। अब पीएयू के अधिकारी भी काफी हैरान हैं कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद वह सीएम तक कैसे पहुंच गया।
कई किसान रह गए निराश
किसान मेले में पहुंचने वाले लोगों को सुरक्षा कर्मियों ने इतना घुमाया कि कई लोग तो सीएम के उद्घाटन समारोह स्थल तक पहुंच ही नहीं सके। जो लोग समय से काफी पहले पहुंच गए थे, वही घूमते-घूमते आयोजन स्थल तक पहुंच पाए। यही कारण रहा कि उद्घाटन समारोह में किसानों की उतनी उपस्थिति देखने को नहीं मिली, जितनी अक्सर हुआ करती है। वैसे तो भगवंत मान एक कलाकार के रूप में पहले भी किसान मेले में आते रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में वह पहली बार यहां पहुंचे थे।
लोगों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री को करीब से सुनने का मौका मिलेगा, लेकिन हर किसान को यह मौका नहीं मिल पाया। हताश किसानों का यहां तक कहना था कि किसान मेले में बड़े राजनीतिक नेताओं को बुलाना नहीं चाहिए या फिर सुरक्षा के नाम पर किसानों को इतना नहीं घुमाना चाहिए। वे भी काफी दूर से यहां आते हैं।
खट्टी-मीठी यादें दे गया मेला
पंजाब का प्रसिद्ध किसान मेला कोरोना के कारण दो वर्ष वर्चुअल तरीके से ही आयोजित हुआ। इस बार जब यह मेला पारंपरिक रूप से लगा तो पहले दिन ही मौसम के खलल की आशंका थी। पहले दिन मौसम सुहाना बना रहा और वर्षा नहीं हुई। ऐसे में पहला दिन तो ठीक निकल गया। दूसरे व आखिरी दिन सुबह से लेकर शाम तक वर्षा होती रही, जिसने पंजाब के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों को खट्टी यादें दीं।
ऐसे में किसानों का कहना था कि आयोजकों के प्रबंधों ने उन्हें मायूस किया। कोसों दूर से आने वाले किसानों में गुस्सा था कि आयोजकों के टेंट तक वर्षा से नहीं बचा सके। यही कारण था कि किसानों ने पहले दिन मेले में ज्ञानवर्द्धन किया व दूसरे दिन उन्हें उतना ही मायूस होना पड़ा। कोसों दूर से आए किसानों का कहना था कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन को अगली बार इन खामियों से सबक लेना चाहिए।
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