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मंदिरों में भक्तों की संख्या में भारी कमी

मंदिरों में भक्तों के आने जाने में न तो रोक है न ही कोई पाबंदी लेकिन फिर भी श्रद्धालु काफी कम संख्या में ही प्रभु का आशीर्वाद लेने पहुंचे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 01:19 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 06:09 AM (IST)
मंदिरों में भक्तों की संख्या में भारी कमी
मंदिरों में भक्तों की संख्या में भारी कमी

कृष्ण गोपाल, लुधियाना

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मंदिरों में भक्तों के आने जाने में न तो रोक है, न ही कोई पाबंदी, लेकिन फिर भी श्रद्धालु काफी कम संख्या में ही प्रभु का आशीर्वाद लेने पहुंचे रहे हैं। अनलॉक-1 में मंदिरों के कपाट आठ जून को खुल गए थे पर अभी तक भक्तों की गिनती में बढ़ोतरी नहीं हो सकी। इसके पीछे की वजह है कोरोना वायरस। इसके चलते भक्त पूजा पाठ मंदिरों में कम, घरों में ज्यादा करने लग गए हैं। वह मंदिरों में आने से कतरा रहे हैं। उनमें डर है कि कहीं वह किसी कोरोना पीड़ित श्रद्धालु से संक्रमित ना हो जाए। इसके कारण वह घरों में ही प्रभु चरणों से जुड़ कोरोना का जल्द खात्मा होने की कामना कर रहे हैं। वहीं लॉकडाउन से पहले भक्त भारी संख्या में दर्शन करते के लिए आते थे, लेकिन इस बार इसकी संख्या 30-40 प्रतिशत ही रह गई है। दूसरी ओर, मंदिर कमेटियां सरकार की गाइडलाइंस अनुसार कार्य कर रही हैं, परंतु भक्त खुद व परिवार की सुरक्षा को पहल के आधार पर रखकर मंदिर में जाने से परहेज कर रहे हैं।

वेद मंदिर के प्रमुख व वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ ने बताया, मार्च के बीच लगे लॉकडाउन के बाद खुले मंदिरों में लगभग 30-35 प्रतिशत ही भक्त आ रहे हैं। इसके पीछे का कारण महामारी का बढ़ रहा प्रकोप है, जिससे भक्त घरों में ही ईष्टदेव की पूजा अर्चना कर रहे हैं। मंदिर में प्रवेश से पहले सूचना बोर्ड लगाया गया है, जिसमें सरकार की गाइडलाइंस लिखी हुई है, उसके अनुसार ही कार्य किए जा रहे हैं।

गुरुद्वारों में पूरा इंतजाम किया गया। संगत की संख्या कम हुई, इसके पीछे की वजह महामारी है, लेकिन यहां पर पूरी सुरक्षा व्यवस्था कायम की हुई है।

रेशम सिंह, गुरुद्वारा आलमगिरी मंदिर के बाहर ही गोले बनाए गए। प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर मशीनें लगाई गई। प्रसाद का वितरण फिलहाल शुरू नहीं किया गया, लेकिन जो भक्त आ रहे हैं वह प्रसाद मांग रहे हैं। इसके लिए सोमवार से पंडित के निर्देशोंनुसार प्रसाद का पैकेट का सिस्टम शुरू किया जा सकता है।

अशोक कुमार द्विवेदी, श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओ पुल


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