जिस दिन बंद हो जाएंगी मेरी आंखें, उस दिन कई आंखों में आएंगे आंसू
जिस दिन बंद हो जाएंगी मेरी आंखे उस दिन कई आंखों में आएंगे आंसू। ऐसा ही दिखा शुक्रवार को जब मां के लाडले व परम अनन्य भक्त नरेंद्र चंचल इस दुनिया को अलविदा कह गए।
कृष्ण गोपाल, लुधियाना : जिस दिन बंद हो जाएंगी मेरी आंखे, उस दिन कई आंखों में आएंगे आंसू। ऐसा ही दिखा शुक्रवार को जब मां के लाडले व परम अनन्य भक्त नरेंद्र चंचल इस दुनिया को अलविदा कह गए। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भजन सम्राट नरेंद्र चंचल ने 12:15 बजे अंतिम सांस ली। निधन की खबर मिलते ही इंटरनेट मीडिया से जुड़े शहरवासियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। आम से लेकर उनके साथ जुडे़ लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। महानगर से नरेंद्र चंचल का खास लगाव था। उन्होंने जहां पर अपने भजन गायन से मां की चौकी से लेकर मां भगवती जागरण हो या अन्य धार्मिक आयोजन उनमें काफी समारोह में शिरकत की।
मिलनसार व मां के अनन्य भक्त थे नरेंद्र चंचल : गुप्ता
श्री दुर्गा सेवक संघ के प्रमुख बलवीर गुप्ता ने दैनिक जागरण को बताया कि उनका निधन से गहरा दुख है। उनके साथ पहली मुलाकात वर्ष 1964-65 के दौरान चौड़ा बाजार में आयोजित मां भगवती जागरण में मंजू भगत के बुलावे पर हुई। मां का जागरण करने पर उनको 101 रुपये की राशि मिली थी। उनके मुख से निकले मां के सुरों को सुनते हुए मैंने और कमेटी सदस्यों ने मिलकर इस युवा को श्री दुर्गा माता मंदिर में आने का आमंत्रण दिया। मिलनसार व मां के अनन्य भक्त नरेंद्र चंचल ने मां के दरबार में हाजिरी लगाने को लेकर एकदम से हां कर दी। वर्ष 1970 में श्री दुर्गा माता मंदिर में पहली बार चंचल ने मां के जागरण को लेकर आकर अपने सुरों से सबका मनमोह लिया। तब से लेकर अभी तक मंदिर में वह 11-12 बार तक आकर मां की चौकी से लेकर मां भगवती का जागरण कर चुके हैं। अंतिम बार मां के दरबार में दुर्गा माता मंदिर में वर्ष 2018 में हाजिरी लगाई, उसके पश्चात वर्ष 2019 में दुर्गा सेवक संघ की कोचर मार्केट में आयोजित मां की चौकी में अपने सबके दिलों में एक अलग से छाप छोड़ गए थे। उनका निधन से एक युग का अंत हो गया है। उनके साथ नाचना जिदगी का बेहतर पल : बोबी
न्यू यंग फाइव स्टार क्लब के अध्यक्ष राजेश जैन बोबी ने बताया कि सभी साथियों ने एक प्लान बनाया कि मां के लाडले नरेंद्र चंचल को बुलाया जाए। सभी ने एकजुटता दिखाकर उनके निवास जाकर मां भगवती जागरण का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि लुधियाना से मेरा जुड़ाव काफी पुराना है। मै जरूर आऊंगा। बस फिर क्या था, जब मां भगवती जागरण में आए और जैसा गायन शुरू किया, यकायक युवा से लेकर बड़ों ने उनके साथ हाजिरी लगाई। मैं भी रुक नहीं पाया। उनके साथ ही नाचने लगा, जो कि जिदगी का एक बेहतर समां था, जब एक फेमस हस्ती से कंधे से कंधा मिलाकर नाचा। उनके जाने से एक धार्मिक युग का अंत हो गया। ---कोट्स--
उनका निधन दिल को दुख देने वाला है। मां के परम भक्त का जाना दुख का क्षण है। मेरा उनसे काफी पुराना रिश्ता रहा है, जब भी दुर्गा माता या मेरे घर आए, उनके चरण ही मां के चरणों के समान पडे़। प्रभु उनको अपने चरणों में जगह दे।
--संजय महेंद्र बंपी, सचिव श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओं पुल।