10 वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार मामले में गवाह मुकरे, तहसीलदार समेत छह आरोपित बरी
अदालत ने पिछले 10 वर्षों से भ्रष्टाचार के आरोप का सामना करने वाले लुधियाना के तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार (पश्चिमी) व तहसीलदार अरविंद प्रकाश वर्मा को बरी कर दिया है।
जेएनएन, लुधियाना: अदालत ने पिछले 10 वर्षों से भ्रष्टाचार के आरोप का सामना करने वाले लुधियाना के तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार (पश्चिमी) व तहसीलदार अरविंद प्रकाश वर्मा को बरी कर दिया है।अदालत ने सह-आरोपितों परमिंदर सिंह क्लर्क, गोपाल कृष्ण क्लर्ख व उनके सहायकों सुनील कुमार शीला, नीरज कुमार उर्फ मनोज व रिंका को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। केस के दौरान एक अन्य आरोपित कांस्टेबल हरजिंदर उर्फ राजिंदर सिंह की मौत हो गई थी।
जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता बलजीत सिंह समेत अधिकांश गवाह पुलिस को दर्ज करवाए बयानों से मुकर गए। जबकि दो सरकारी गवाह गोरी नाथ और करमजीत कौर, क्लर्क तहसीलदार ऑफिस अपने बयानों पर कायम रहे। पुलिस थाना विजिलेंस ने 19 सितंबर 2008 में अरविंद प्रकाश वर्मा सहित अन्य को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। विजिलेंस पुलिस ने आरोप लगाया था कि तहसीलदार ऑफिस में आरोपित लोगों से पावर ऑफ अटॉर्नी और जमीन से जुड़े अन्य दस्तावेज रजिस्टर्ड करवाने के लिए साढ़े सात लाख रुपये रोज बतौर रिश्वत एकत्रित कर रहे थे। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि विजिलेंस पुलिस यह साबित करने में असफल रही है कि तहसीलदार अरविंद प्रकाश व अन्य आरोपित कार्यालय में आने वाले दस्तावेज रजिस्टर्ड करने के लिए भ्रष्टाचार कर पैसे वसूलते थे।
तहसीलदार ने कहा था, सियासी रंजिश में झूठा फंसाया जा रहा
वहीं तहसीलदार ने खुद को अदालत में बेकसूर बताते कहा था कि उसे सत्ताधारी पार्टी के कहने पर सियासी रंजिश के चलते उपरोक्त मामले में झूठा फंसाया गया। उन्होंने विजिलेंस पुलिस पर उनके साथ मारपीट करने के भी आरोप लगाए थे। इसी मामले में विजिलेंस पुलिस ने तहसीलदार वर्मा की जमानत को रद करवाने के लिए सेशन कोर्ट में भी अर्जी लगाई थी। इसे तत्कालीन अतिरिक्त सत्र न्यायधीश जीएस सरां की अदालत ने रद कर दिया था। विजिलेंस ब्यूरो के तत्कालीन डीएसपी रवचरण सिंह बराड़ ने इस केस में चीफ ज्यडिशियल मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह की अदालत में एक अर्जी देकर गवाह करमजीत कौर के बयान मजिस्ट्रेट के पास दर्ज कराए जाने की मांग की थी। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के निर्देशानुसार तत्कालीन ज्यूडिशिल मजिस्ट्रेट अमित थिंद ने उक्त क्लर्क करनजीत कौर के बयान दर्ज किए थे।